d

gand fad chudai लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
gand fad chudai लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 24 नवंबर 2017

मंजू का पालतू कुत्ता बन के उसका पेशाब पी लिया

दोस्तों ये कहानी मेरी लाइफ की रियल घटना हे. इसमें मैं आप को बता रहा हूँ की कैसे एक मिडल एज लेडी ने कैसे मुझे डोमिनेट कर के चुदवाया था. मैं 29 साल का हूँ और इस चुदाई से पहले तक वर्जिन था. मेरा वेट 70 किलो हे और मेरे लंड की लम्बाई साड़े पांच इंच हे. मैं बंगलौर में काम करता हूँ एक बेंक में. मुझे अच्छा लगता हे जब कोई औरत मुझे डोमिनेट करें, यु कहें की यही मेरी फेंटसी थी. अपनी जवानी के दिनों से ही मैं मच्योर लेडिज जैसे की भाभियों और आंटियों के प्रति आकर्षित था.
ये मेरा अनुभव एक बस की जर्नी से चालु हुआ था. मैं बंगलौर से हैदराबाद जा रहा था. मैंने मजेस्टीक से वोल्वो बस में बुकिंग करवाया हुआ था. और अगले पिकअप से एक लेडी बस में चढ़ी और मेरी बगल की सिट में बैठ गई. उसने चूड़ीदार पहना हुआ था. वो अपनी तीसी में थी और उसका फिगर करीब 36 30 36 का था. और देखने में वो थोड़ी सांवली सी थी. उसके बाल लम्बे और घुंघराले थे.
जब बस चली तो उसका हाथ मेरी तरफ आ गया और मेरे शैतानी दिमाग में गंदे ख़याल आने लगे. मैं सोच रहा था की कैसे बात चालू करूँ उसके साथ. मैंने इस लेडी को उसका नाम वगेराह पूछा. उसने जवाब दिया और फिर से चूप हो गई. उसका नाम मंजू था और वो एक एमएनसी में फ्रंट डेस्क पर काम करती थी. वो अपने पति से मिलने के लिए हैदराबाद जा रही थी और उसके अभी बच्चे नहीं थे.
इसी बिच हमारे हाथ एक दुसरे से टच होते रहे. और मुझे इस वजह से बड़ा मजा आने लगा था. मैं बार बार हाथ को उसकी बॉडी से टच कराता रहता था. मेरा लंड भी जाग चूका था. और फिर कुछ देर में उसे नींद आई और वो मेरे कंधे के ऊपर सो गई. मैंने भी सही मौका देखा और कुछ देर में मैं भी उसके ऊपर ही सो गया. साला पूरी रात मेरी हिम्मत ही नहीं हुई और नींद भी आ गई इसलिए कुछ कर नहीं सका. कुछ ही देर में बस मंजिल को पहुंचनी थी तब हम दोनों ने अपने नम्बर्स एक्चेंज कर लिए.
मुझे हैदराबाद में दो दिन का काम था उसके बाद में मैं वापस बंगलौर आ गया. मुझे याद था की मंजू मेरे आने के दो दिन के बाद आनेवाली थी. मैंने दो दिन के बाद लेट इवनिंग में उसे व्हाट्सएप्प मेसेज किया.
और तुरंत उसका जवाब भी आ गया. वो व्हाट्सएप्प पर लम्बी लम्बी बातें कर रही थी. कुछ समय पर्सनल चीजे और क्या करते हो कहा रहते हो चला. वो बातचीत से थोड़ी घमंडी और कंट्रोल वाली लग रही थी. जो की मुझे अच्छा भी लगा. फिर हमारी बातें सेक्स के टोपिक के ऊपर भी होने लगी. मंजू ने कहा की वो टॉर्चर वाला सेक्स पसंद करती हे और उसका हसबंड वो सब करता नहीं हे इसलिए वो प्यासी रह जाती हे.
उसने मेरी सेक्स लाइफ के बारे में पूछा और मैंने कहा की मुझे सेक्स करने का चांस ही नहीं मिला हे. वो हंस पड़ी और उसने मेरी सेक्स रिलेटेड फेंटसी के बारे में पूछा.
मैं: मैं लड़की के हाथ का खिलौना बनना चाहता हूँ.
वो हंस पड़ी और बोली, गुड.
मैं: मैं चाहता हूँ की सेक्स में लड़कियां मुझे मारे और पेन दे सेक्स के अंदर.
मंजू: अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे दर्द दे सकती हूँ.
और ये कह के वो हंस पड़ी.
मैं: अच्छी बात हे ना!
उसने कहा: वैसे तुम्हे ये सब आइडिया कहाँ से आता हे.
मैंने कहा: पोर्न के विडियोस देख के. और ये कह के मैंने उसे व्हाट्सएप्प के ऊपर लिंक भेज दी एक bdsm वीडियो की. उस वीडियो में एक लड़का एक लड़की को मार मार के उसके साथ सेक्स का रहा था.
अगले दिन उसने कहा वो वीडियो मस्त था और वो खुद भी ऐसे ही अपने हसबंड को मार मार के उसका लंड लेना चाहती हे. मैं हंस पड़ा और उसे कहा की तुम अपने हसबंड को ऐसे टॉर्चर कर ही नहीं सकती. लेकिन अगर तुम मुझे टॉर्चर करना चाहो तो मैं भी एन्जॉय कर लूँगा.
वो: अगर तुम मेरे हसबंड होते तो मैं तुम्हे टॉर्चर करता.
मैं: तो फिर सोच लो की मैं तुम्हारा हसबंड हूँ.
वो हंस के बोली: ठीक हे!
और फिर कुछ देर दिनों तक हम दोनों व्हाट्सएप्प के ऊपर यही रोल-प्ले करते रहे. वो मेरी बीवी थी जो मेरे हर सेक्सुअल एक्ट में मुझे अपना गुलाम बनाती थी और मेरे ऊपर डोमिनेट करती थी. वो मुझे गन्दी गन्दी गालियाँ देती थी. वो मेरे लंड के ऊपर भी सवाल करती थी.
ऐसे करते हुए दो महीने बिट गए. वो अपने हसबंड को इसके बिच में तिन बार मिल के आई. फिर हम दोनों ने एक संडे को मिलने का प्लान बनाया. उसने टॉप और ब्ल्यू डेनिम की जींस पहनी हुई थी. उस दिन बस में मिली थी उस से काफी अलग ही लग रही थी मंजू आज तो. हमने ऑलमोस्ट दो घंटे तक एक केफेटेरिया में बातें की.
और फिर वो अपने घर चली गई. उसी शाम को उसका मेसेज आया की वो जो हम रोल-प्ले में करते थे वो रियल में करना चाहती हे. मैंने एक पल भी सोचे बिना उसको हाँ कर दिया. और फिर अगले संडे को मैंने एक होटल बुक करने को कहा. तो उसने कहा नहीं तुम कल के दिन में ही होटल बुक करो हो सके तो अपनी ऑफिस से छुट्टी ले लो.
मैंने एक 4 स्टार होटल में कमरा बुक कर लिया. और वो 10 बजे शार्प आ भी गई. उसने लो नेक ब्लाउज पहना था और उपर एक सेमी-ट्रांसपरेंट साडी पहनी हुई थी उसने. वो बोली देखो मैं तुम्हे मारूंगी, कुटुन्गी लेकिन तुम मुझे मेम ही कहोगे, मंजू नहीं. मैंने कहा ठीक हे.
वो बोली, चलो अपने कपडे खोलो और पेंटी में आ जाओ.
मैं अपनी जोकि के सिवा बाकी के सभी कपडे निकाल दिए. उसने मुझे कहा की उलटे हो जाओ. मेरे उलटे होते ही वो मेरी गांड के ऊपर एक चमड़े के बेल्ट से जोर जोर से मारने लगी. मैं दर्द की वजह से मोअन कर रहा था.
मंजू: साले कुत्ते मोअन करना बंद कर हरामी.
मैं: मेम बहुत पेन हो रहा हे मुझे.
मंजू: साले तू मेरा गुलाम हे और अगर तूने अब मोअन किया तो अपनी पेंटी मैं तेरे मुहं में ठूंस दूंगी.
मैं: मेडम आप की पेंटी तो मैं वैसे भी अपने मुहं में लेना चाहता हूँ. और मुहं में देने से पहले प्लीज़ अपनी पेंटी में थोडा पेशाब कर देना.
वो एक्साइट हो गई और उठ के बाथरूम में चली गई. जब वो वापस आई तो उसके हाथ में पेंटी थी जो पेशाब से भरी हुई थी. और आते ही उसने वो पेंटी को मेरे मुहं में डाल दिया. उसका पेशाब मेरे चहरे पर और मुहं में चला गया. फिर उसने मुझे कहा की बिस्तर में लेट जाओ तुम. और फिर से वो मेरी गांड के ऊपर चमड़े के बेल्ट से मारने लगी. इस चाबुक जैसे प्रहारों से मेरी गांड वाला हिस्सा एकदम लाल हो चूका था और मुझे दर्द भी हो रहा थे. पेंटी मुहं में होने की वजह से मेरी मोअन बहार नहीं आ रहा था. मैंने उसकी पेंटी को काटा और उसके पेशाब को पिने लगा.
एक झटके से अपनी पेशाब वाली पेंटी मेरे मुहं से निकाल ली. फिर उसने मुझे अपनी पाँव की ऊँगली मुहं में देते हुए कहा, ले मेरे कुत्ते चाट मेरी पाँव की ऊँगली को और फिर वो मेरे बाल पकड़ के एक एक कर के सब उंगलियाँ चटवाने लगी. फिर वो बोली चल अब खड़ा हो और मेरी गांड को चाट साले कुत्ते.
मैने कहा, हां मेम.
फिर मैं साडी के ऊपर से ही उसकी गांड को चाटने लगा. वाऊ क्या मजा आ रहा था मंजू की बड़ी गांड को चाटने में, प्लीजर मिल रहा था मुझे.
फिर वो बोली जाओ बाथरूम में चले जाओ मैं कुछ ऑर्डर करती हूँ. उसने बेल्ट को मेरे गले में अपने पालतू कुत्ते के जैसे लटका दिया. फिर उसने कोफ़ी मंगवाई एक ही कप. उसने कोफ़ी के कप में दो सिप बचाए और फिर उसके अंदर थूंक दिया. फिर अपनी चूत में से पेशाब की कुछ बुँदे भी उसमे निकाली और मुझे दे दी और बोली, मेडम ने स्पेशियल कोफ़ी बनाई हे पी जाओ.
मैं उस कोफ़ी को पी गया. फिर उसने बहुत बार मेरे चहरे के ऊपर थूंक दिया.
फिर मैं उसे ले के बाथरूम में गया और मैंने उसे साडी खोलने के लिए विनंती की. उसने अपना पल्लू हटाया और उसके बड़े बूब्स ब्लाउज में दिखे. मैंने उसके बूब्स पकडे तो उसने मुझे कस के ऐसा तमाचा मारा की मुझे दिन में भी तारे दिख गए. वो बोली, साले कुत्ते मैं कहूँ ना तब तक कुछ नहीं करेगा तू. मैंने कहा सोरी मेम. उसने फिर एक तमाचा मारा और बोली, चल अब अपनी चड्डी खोल दे.
मैंने चड्डी खोल के पूरा नंगा खड़ा था उसके सामने. उसने बोला, अब बोल क्या चाहिए तुझे?
मैंने कहा मेम मुझे आप का पेशाब पीना हे. बहुत प्यास लगी हे मुझे.
उसने अपना पेटीकोट और ब्लाउज निकाला और टॉयलेट की सिट के ऊपर बैठ गई. उसकी ब्रा अभी भी बूब्स के ऊपर थी. उसने मुझे अपनी चूत के पास बुलाया. और उसने कहा, प्यासे हो?. मैंने कहा हां मेडम और ये कह के मैं अपनी जबान को उसकी चूत पर लगा दिया. उसकी चूत से पेशाब की धार निकल पड़ी और इम्रे पुरे बदन को गन्दा करने लगी. उसने कहा साले मुहं खोल हरामी और सब पी जा. मैंने मुहं खोला और उसने धार को मेरे मुहं में ही मारा. उसने मेरे बाल पकडे और अपनी चूत को मेरे मुहं पर घिस के सब पेशाब पिला दिया मुझे. उसका पेशाब एकदम खारा और स्वादिष्ट था.
फिर उसने अपनी चूत के ऊपर थूंक दिया और बोली चाट इसको. मैं 30 मिनिट तक उसकी चूत को चुस्त रहा और उसके बिच में वो दो बार झड़ गई थी. उसने मुझे अपना सब चूतरस भी पिला दिया.
फिर उसने मुझे कहा की चल अब मेरी निपल्स को प्यार कर. और मैंने ऐसे ही किया. वो बोली ला अब मैं तेरी निपल्स को प्यार देती हूँ. लेकिन वो प्यार नहीं पेन दे रही थी. अपनी दो ऊँगली में ऐसे दबा रही थी की मेरी निपल एकदम ही सूज गई. उसे ये सब देख के बहुत मजा आया.
फिर उसने मेरा लंड पकड़ के कहा, मुहं में ले लूँ?
मैंने कहा, प्लीज़ मेम.
उसने लंड मुहं में ले के चूसा और हिलाने लगी. वो अन्डो को ऐसे मरोड़ रही थी की उन्हें तोड़ के खाने हो. और मेरे लंड के ऊपर अपने दांत गड़ा के वो पेन दे रही थी मुझे.
कुछ देर लंड सक करने के बाद वो टॉयलेट की सिट पर घोड़ी बनी और बोली, चल अब चोद ले अपनी मेडम की चूत को!
मैंने जल्दी से अपने लंड को उसकी चूत में डाला और चोदने लगा. वो अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह करते हुए गांड हिलाती गई और मैं उसको चोदता रहा. मेरा पानी उसकी चूत में निकाला और फिर वो बोली, चल अब मुहं खोल के निचे लेट जा.
उसने फिर से पेशाब किया मेरे मुहं में और अब उसके साथ मेरे अपने वीर्य के लम्प्स भी साथ में आ रहे थे….!

रेगिस्तान में रंगीन हुई एक रात

मेरा नाम सूरज है, मैं राजस्थान में एक छोटे से गांव का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 21 साल की है, कद 5 फीट 9 इंच का है। मैं शहर में नौकरी करता हूँ, इस कारण गांव में एकाध महीना ही गुजार पाता हूं।
मेरी कहानी या यूं कहें कि जो हकीकत में मेरे साथ हुआ.. वो मैंने कभी सोचा तक नहीं था।
तो बिना आप सब का वक्त गंवाए शुरू करता हूँ कि आखिर ऐसा क्या हुआ मेरे साथ और किस प्रकार मैंने एक रेगिस्तानी इलाके में एक अनजान लड़की के साथ एक रंगीन रात गुजारी।
 
एक बार मैं और मेरा दोस्त विकास बाईक से किसी काम के सिलसिले में हमारे गांव से करीब 70 किलोमिटर दूर गए थे.. जून महीने की शुरुआत में गर्मियों वाले दिन थे।
हम दोनों काम निपटा कर जब लौटने लगे.. तब शाम के 6:30 बज चुके थे। अभी कुछ किलोमीटर ही चले होंगे कि अचानक बाईक का पिछला टायर पंचर हो गया। रेगिस्तानी एरिया था.. दूर-दूर तक कोई गांव या पंचर की दुकान नजदीक नहीं दिख रही थी।
अब मैं और विकास पैदल बाईक को खींचते-खींचते करीब दो किलोमीटर चले होंगे कि रात हो चुकी थी.. हम दोनों बाइक खींचते-खींचते थक चुके थे। तभी पास में एक कच्चा घर दिखाई दिया, तो उसे देख कर थोड़ी राहत मिली। हम दोनों ने तय किया कि आज रात यहीं रूक जाएंगे।
सो साहब चल दिए उस घर की ओर.. वहाँ जाकर बाईक को साइड में खड़ा किया और देखा तो सामने से एक बुजुर्ग व्यक्ति, जो करीब 55 साल के रहे होंगे, वो हमारे पास आए और बोले- पधारो सा.. खम्मा घणी सा..
हमने भी हाथ जोड़कर ‘खम्मा घणी..’ बोला.. उन्होंने हम से कुछ भी नहीं पूछा और दो खटिया लगा दीं.. उस पर हम दोनों बैठ गए।
फिर उन्होंने हालचाल पूछा और इधर-उधर की बातें की।
कुछ देर बाद खाना खाने के लिए उन्होंने हम दोनों को घर के आंगन में बुलाया।
हम दोनों वहाँ आ गए.. उधर चटाई बिछाई हुई थी.. उस पर जाकर बैठ गए।
गांव था.. तो घर में लाईट तो थी ही नहीं.. बस एक लालटेन जल रही थी।
हम में से कोई भी किसी का चेहरा उस रोशनी में साफ नहीं देख सकता था। वहाँ लालटेन की रोशनी में उस परिवार में कुल पाँच सदस्य दिखाई दे रहे थे। दो वो पति-पत्नी और दो लड़कियां थीं, शायद उनकी बेटियां रही होंगी.. और एक शादीशुदा स्त्री थी जो घूंघट में थी। वो पता नहीं बेटी थी या उनकी बहू थी। क्योंकि हम अन्जान थे उस गांव में तो हमने उनसे उनके परिवार के बारे में ज्यादा सवाल भी नहीं किए।
खैर.. खाना परोसा गया, मैं और विकास एक साथ ही थाली में खाने के लिए बैठे थे।
जल्दी ही हमारा पेट भर गया हम थाली धोने को लेकर उठने ही वाले थे कि अचानक एक लड़की, जिसकी उम्र कमसिन रही होगी.. वो हाथ में तीन चार रोटी लेकर आई और एकदम से हमारी थाली में डालते हुए बोली- जीजा सा, इतनी जल्दी भी क्या है, पेट भर गया क्या? दोनों साथ में बैठे हो.. आराम से पेट भर के खाइए.. आप शादी के बाद पहली बार सासरे आए हैं।
हम दोनों तो ये सुन कर भौंचक्के से रह गए.. क्योंकि हम तो कभी इस गांव की तरफ आए तक नहीं थे और ये हमें इस तरह से बुला रही है।
खैर.. हमने बिना कोई जवाब दिए खाना खाया और खटिया पर आकर सो गए।
थकान के कारण विकास तो जल्द ही नींद के खर्राटे लेने लगा.. पर मेरे दिमाग में तो बस एक ही सवाल था कि मैं इनका जीजा कैसे हुआ।
थोड़ी देर सोचने के बाद मेरी भी आंख लगने ही वाली थी कि कोई मेरे पैरों की उंगली खींचने लगा, मैंने चौंककर अंधेरे में फोन का उजाला करके देखा तो वही लड़की थी.. जिसने रोटी थाली में डाली थी।
मैं कुछ बोलता उससे पहले ही वो दबी आवाज में बोल पड़ी- जीजा सा, मैं अपना परिचय करवाती हूँ आपसे.. मैं आपकी सबसे छोटी साली मीना हूँ, मेरे से बड़ी रेखा और सबसे बड़ी दीदी का नाम तो याद ही होगा न आपको.. या अपनी घरवाली का नाम भी मैं ही बताऊं.. चलो बता ही देती हूँ.. शायद आप भूल गए होंगे, तो दीदी का नाम कमला है।
इतना कहकर वो दबी आवाज में हंसने लगी।
उसकी बात सुनकर मैं भी मुस्कुरा पड़ा।
मैं अभी कुछ बोलता कि फिर वो बोल पड़ी- जीजा सा, मैं जिस काम के लिए यहाँ आई थी.. वो तो बातों-बातों में कहना भूल ही गई। हाँ तो.. आपका बिस्तर इधर नहीं, घर के पीछे लगाया है.. वहाँ जाकर लेटो। चलो अंधेरे में आपको रास्ता नहीं मिलेगा, मैं आपको आपकी खटिया तक छोड़ देती हूँ।
इतना कहकर मीना ने मेरा हाथ खींचकर मुझे उठाया और बोली- चलो भी, इतना क्यों शर्माते हो।
अब उसने मुझे झोपड़े के पीछे खटिया पर लगाये गए बिस्तर पर ले जाकर बिठा दिया।
मीना बोली- अब मैं तो चलती हूँ जीजा जी अपना ख्याल रखना.. थोड़ी देर बाद कोई आएगा तो अंधेरे में आप उनसे डरना मत।
अब मेरे समझ में आने लगा कि ये लोग मुझे अपना दामाद मान रहे हैं और दामाद जब पहली बार सासरे जाता है तो वो एक साथी के साथ शाम को दिन ढलने के बाद ही वहाँ पहुँचता है। यहाँ लगता है वो शादीशुदा लड़की कमला ही है.. उसके पति गौना करने आए नहीं है.. शायद शादी नई-नई हुई है। अभी मैं इन्हीं विचारों में था कि मुझे किसी के आने की आहट महसूस हुई।
थोड़ी देर बाद मेरी खटिया के पास आकर एक औरत खड़ी हो गई। लहंगा-चोली में चुन्नड़ ओढ़े हुए करीब साढ़े पांच फिट लंबी थी.. पतली कमर थी, पास में खड़ी बड़ी मस्त लग रही थी।
वो धीमी आवाज में बोली- लो जी, पानी पी लो।
और उसने गिलास मेरे हाथ में थमा दिया
रात अंधेरी थी.. हम एक-दूसरे का चेहरा भी नहीं देख सकते थे। मैंने पानी पिया और बोला- आप बैठ जाओ।
वो मेरे पास खटिया पर बैठ गई और बोली- हमारी शादी के बाद आपने ना तो मुझे फोन किया और न ही मुझे अपना नम्बर दिया और आने तक की खबर भी नहीं दी.. शादी में एक रात ही तो साथ में रहे थे.. वो भी मेहमानों के बीच.. ना तो मैंने आपका चेहरा देखा और ना ही आपने मेरा चेहरा देखा।
दोस्तो, एक बात बताना चाहूंगा कि हमारे गाँवों के रीति रिवाज अनुसार शादी होने तक लड़का लड़की एक-दूसरे से नहीं मिल सकते हैं और शादी होने के बाद लड़की ससुराल जाती है तो एक या दो दिन ही ससुराल रहती है।
अब उन दो दिनों में कई जोड़ों की तो सुहागरात भी नहीं हो पाती है, ऐसा ही कमला के साथ भी हुआ था।
मैं तो दुविधा में पड़ गया कि यार कहाँ आ फंसे.. मैं सोचने लगा कि अब क्या करूँ, फिर सोचा कमला को एक बार ठीक से देख तो लूँ।
मैंने मोबाईल निकाला और उसके उजाले को पास बैठी कमला के चेहरे के सामने ले गया।
वाह.. चेहरे में क्या देसी खूबसूरती थी, जैसे कीचड़ में गुलाब का खिलना.. उसी प्रकार रेगिस्तानी झोपड़ी में भी इतनी सुन्दर सी परी.. कमला का चेहरा एकदम गोरा.. रस भरे लाल होंठ उजाले के सामने थरथरा रहे थे। उसके माथे पर चुँदड़ी बड़ी प्यारी लग रही थी।
मैंने मोबाईल को चेहरे से थोड़ा नीचे सरकाया तो क्या कयामत लग रही थी। उसकी छाती बैचेनी से ऊपर-नीचे हो रही थी.. उस पर उसके दो मस्त कड़क और एकदम कसे हुए चूचे भी ऊपर-नीचे हो रहे थे… एक मासूम सी बला थी कमला।
अब उसके हिलते हुए मम्मों को देखकर मेरे अन्दर भी वासना जगने लगी। मेरी पैन्ट में तंबू खड़ा होने लगा। मैंने धीरे-धीरे कमला के पूरे शरीर को फोन के उजाले में निहार लिया.. वो एकदम गोरी थी।
फिर मेरे मन में ख्याल आया कि ‘नहीं सूरज, तुम इन भोले भाले लोगों के साथ धोखा नहीं कर सकते.. इन्होंने तुझे मेहमान बनाकर भगवान की पूजा की तरह सेवा की है और तू इन्हें ही धोखा देना चाहता है, नहीं.. नहीं…’
मैं इस सोच में डूबा ही था कि कमला ने अपना हाथ मेरे चेहरे पर फेरते हुए पूछा- क्या हुआ.. कहाँ खो गए.. आप कुछ बोलते भी नहीं.. हमसे नाराज हो क्या?
मैंने चुप्पी साध रखी थी।
फिर वो बोली- इसमें मेरी क्या गलती कि हमारी सुहागरात ना हो पाई थी.. आज बिन्दास होकर सुहागरात मना लो।
इतना कहकर कमला अपने मुँह को मेरे मुँह के करीब लाई और अपने होंठों को मेरे होंठों से चिपका लिया। अब मैं भी सब कुछ सोचना छोड़ कर कि जो होगा सुबह देखा जाएगा, उसके अपने होंठों से उसके होंठों का रसपान करने लगा।
क्या रसीले होंठ थे.. चूसने में बड़ा मजा आ रहा था। मैंने अपनी जीभ को कमला के मुँह में अन्दर तक डाल-डाल कर उसकी जीभ चूसी और उसके मुँह को करीब दस मिनट तक चूसता रहा।
हम दोनों ने एक-दूसरे के होंठों को भी खूब चूमा.. जब साँस लेना कठिन हो गया तब जाकर हम दोनों अलग हुए।
मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था.. लंड पैन्ट में फड़फड़ा रहा था। मेरा लंड करीब सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा है।
अब मैंने कमला को खटिया पर सीधा लिटा दिया और मैं उसके बगल में एक साइड कोहनी के बल लेट गया और अपना मुँह उसके मुँह के ऊपर ले गया। कमला लंबी साँसें लिए जा रही थी, उसकी गर्म साँसें मुझे मदहोश कर रही थीं।
मैंने अपना एक हाथ कमला के कड़क तने हुए मम्मों पर रखकर धीरे से उसे मसला कि कमला के मुँह से सिसकारी निकलने लगी।
फिर मैंने उसके ब्लाऊज के बटनों को खोल दिया।
मैंने कमला के ब्लाउज के बटन खोल दिए, रात काफी हो चुकी थी, आसमान में चाँद निकल हुआ था। कमला ने काली ब्रा पहनी हुई थी, जो चाँद की रोशनी में उसके गोरे बदन पर बड़ी मस्त लग रही थी।
मैंने धीरे से उसके शरीर से उसकी ब्रा को भी अलग कर दिया।
क्या मम्मे थे यार… बड़े ही मस्त कड़क तने हुए थे। मैंने दोनों हाथों से दोनों मम्मों को पकड़ कर धीरे-धीरे मसलना शुरू किया.. कमला अपने मुँह से दबी आवाज में बड़ी ही मादक आवाज निकाल रही थी।
मैंने एक हाथ से उसके बोबे का मसलना चालू रखा और दूसरे हाथ को धीरे से नीचे खिसकाते हुए उसके पेट और नाभि पर हल्का-हल्का फिराने लगा। कमला पैरों की दोनों एड़ियों को आपस में रगड़ते हुए पैर पटक रही थी.. अब वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी। मैंने अपना मुँह उसकी नाभि पर टिका दिया और अपनी जीभ को उसकी नाभि के अन्दर फिराने लगा। मेरे इस चुम्बन से कमला की हालत बुरी हो रही थी।
मैंने अब अपने आपको ज्यादा देर ना करना उचित समझते हुए उसके लहंगे का नाड़ा खोल दिया और पैर से लहंगा नीचे खींच लिया। कमला की चिकनी गोरी जांघें चांद की रोशनी में बड़ी मस्त लग रही थीं।
उसने अन्दर नीले रंग की चड्डी पहनी हुई थी। मैंने धीरे से उसे भी निकाल दिया। अब कमला खटिया पर एकदम नंगी पड़ी हुई थी।
मैंने तो आज तक ऐसा नजारा कभी ख्वाब में भी नहीं देखा था, जिस तरह से अभी कमला को देख रहा था।
मेरा लंड फुंफार मार रहा था, वो तो टूट कर कमला की चुत में घुसने को बेताब था। अब मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपने लंड को कमला के हाथ में थमा दिया। लंड पकड़ते समय कमला शर्मा रही थी। कमला को मैंने बोला- इसे धीरे-धीरे हाथ से हिलाओ।
वो ऐसा ही करने लगी।
मैंने अब अपने हाथ को कमला की चुत पर रखा और एक उंगली को उसकी चुत के अन्दर डालने लगा। जैसे ही आधी उंगली उसकी चुत में गई होगी कि कमला उछल पड़ी और बोली- दर्द हो रहा है।
मैंने धीरे से एक-दो बार कोशिश की तो पूरी उंगली अन्दर तक चली गई। अब मैं उंगली को चुत में अन्दर-बाहर करने लगा। इससे कमला के पूरे शरीर को कसावट भरने लगी और वो जोर की सांसें लेने लगी।
अब उसने मेरे लंड को हिलाना छोड़ दिया मैंने भी अपनी उंगली को बाहर निकाला और एक बार फिर कमला के होंठों पर चुम्बन किया।
कमला बोली- अब देर ना करो, मुझसे और इन्तजार सहा नहीं जा रहा।
मैंने कमला को खटिया के एक कोने पर लिटाया और उसके दोनों पैरों को जमीन से टच करा दिया। मैं दोनों घुटनों के बल जमीन पर कमला के पैरों के बीच खड़ा हो गया, जिससे अब मेरा लंड कमला की चुत के बिल्कुल सामने आ गया था।
मैंने अब धीरे से कमला के पैरों के बीच आगे खींचते हुए अपने लंड को उसकी चुत पर टिका दिया और हल्के से लंड को उसकी चुत और जांघों पर रगड़ने लगा।
मेरी इस हरकत से कमला पागल हुई जा रही थी। वो बोली- प्लीज और ना तड़पाओ.. वरना मैं मर जाऊंगी.. जल्दी से डाल दो अपना लंड मेरी फुद्दी में.. और बुझा दो इसकी आग को।
मैंने भी देर ना करते हुए लंड के सुपारे को चुत पर टिका कर हल्का सा धक्का लगाया.. पर लंड फिसल के नीचे हो गया।
मैंने फिर टिका के धीरे-धीरे लंड पर दबाव डाला.. जिससे लंड का सुपारा चुत में घुस गया। उधर कमला को बड़ा दर्द होने लगा.. वो मुझे अपने हाथों से पीछे धकेलने लगी, पर मैं उसी पोजिशन में खड़ा रहा। थोड़ी देर जब कमला थोड़ी शान्त हुई तो फिर से धीरे से धक्का लगा दिया। अब मेरा लंड करीब चार इंच अन्दर घुस गया था.. कमला दर्द के मारे रोने लगी।
मैंने अब थोड़ा इन्तजार करने के बाद लंड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे चुत में चिकनापन आने लगा और लंड को अन्दर-बाहर होने में आसानी होने लगी। मैंने एक अब बार अपना पूरा लंड बाहर निकाल के फिर से जोर का धक्का मारा.. इस बार लंड पूरा का पूरा अन्दर घुस गया।
कमला चीख पड़ी- ऊहहहई माँह.. उहह मर गईईई..
मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया ताकि उसकी चीख से कोई जग ना जाए।
थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद जब कमला का दर्द कम हुआ तो उसने गांड हिलाना शुरू कर दिया। मैं समझ गया की अब माल चुदने को तैयार है, तो मैंने अब धक्के लगाना चालू कर दिए।
करीब दस मिनट तक धक्के मारने के बाद मैंने उसे घोड़ी की स्टाइल में खड़ा होने को कहा।
कमला अब घुटनों के बल जमी पर खड़ी हो गई। उसका पेट से ऊपर का हिस्सा खटिया पर ही था। मैं अब कमला की गांड के पीछे खड़ा हो गया और पीछे से लंड को उसकी चुत में घुसा दिया। अब मैं जोर-जोर से धक्के मारने लगा। कमला को भी बड़ा मजा आ रहा था और वो भी गांड हिला-हिला के लंड को चुत में ले रही थी।
करीब दस मिनट बाद कमला अकड़ने लगी और अपनी चुत को सिकोड़ने लगी। मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। कमला ने जोर की चीख के साथ चुत से गर्म-गर्म लावा छोड़ दिया.. वो झड़ चुकी थी।
मैं भी चरमचीमा पर पहुँचने वाला था इसलिए लंड को जोरों से अन्दर-बाहर कर रहा था। करीब दो मिनट के बाद मैं जोर से हाँफने के साथ चीख के साथ लंड को चुत से बाहर निकाल लिया और तभी मेरे लंड से पिचकारी फूट पड़ी। लंड का सारा माल मैंने कमला की पीठ पर बिखेर दिया। हम दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे.. थक गए थे। दोनों खटिया पर चित्त होके सो गए।
दस मिनट बाद जब चैन की सांस आई तो मैंने फोन निकाल कर टाइम देखा तो सुबह के पौने पांच बज चुके थे।
मैंने कमला को किस किया और बोला- सुबह हो गई है, अब हमें अपने पहले वाले बिस्तर पर चलना चाहिए।
कमला बोली- ठीक है.. फिर कब आओगे?
मैंने बोला- जब ऊपर वाला मिलाएगा तब..
और मैं हंस पड़ा.. कमला भी मुस्कुरा दी।
मैंने कमला से पूछा- आपके घर में हवा भरने का पंप है?
कमला बोली- हाँ है।
तो मैंने कहा- आप वो मेरी बाइक के पास रख आना.. मेरी बाईक में रात को पंचर हो गया था।
कमला बोली- ठीक है।
अब मैं और कमला चल दिए।
झोपड़े के पीछे से आकर उसने लाकर पंप बाइक के पास रख दिया।
मैंने अब विकास को उठाया और टायर में हवा भरने का बोला। उसने उठ कर हवा भर दी।
साढ़े पांच हो चुके थे.. मैंने सोचा यहाँ से निकल जाना चाहिए वरना सुबह सब उठ गए और चेहरा पहचान लिया तो मारे जाएंगे।
फिर हम दोनों दोस्त वहाँ से रवाना हो गए।
इसके बाद फिर कभी उस गांव की ओर नहीं गए।
मैंने जो मेरे साथ रात में घटना हुई इसे आज तक किसी को नहीं बताया है.. विकास भी इस बात से अन्जान है।
लेकिन यह घटना अपने मन में छुपा न सका, इसलिए आप सब दोस्तों के साथ शेयर कर दी। उम्मीद करता हूँ आप सबको मेरी कहानी पसन्द आएगी।

बुधवार, 22 नवंबर 2017

प्यारी पंजाबन शादीशुदा गर्लफ्रेंड की हिंदी चुदाई स्टोरी

ह हिंदी चुदाई स्टोरी एक पंजाबन लड़की की है.
पिछले साल मैं दिल्ली में जॉब कर रहा था तो वहाँ मेरी मुलाकात एक ऐसी हसीन परी से हुई, जिसका नाम कोमल था। वो पंजाबन थी और आपको तो पता ही है कि पंजाबी लड़कियां कैसी कड़क और एकदम माल जैसी दिखती हैं। कोमल भी एक ऐसी ही हसीना थी, जो उसे एक बार देख लेता.. बस फिर वो उसे देखता ही रहता है। क्या कहूँ उसके बारे में.. बड़ी-बड़ी आँखें, पिंक कलर के होंठ और मदमस्त फिगर तो सन्नी लियोनी से भी अच्छा 32-28-34 का जानलेवा फिगर था। यारों वो चलती-फिरती किलर मशीन थी। उसका रंग तो ऐसा गोरा कि दूध भी शर्मा जाए। बस एक ही दिक्कत थी कि वो शादीशुदा थी। उसकी 3 साल पहले अरेंज मैरिज हो चुकी थी और उसका एक बेबी भी था।
लेकिन समस्या ये थी कि उसका पति उसको सेक्स का सुख तो देता था लेकिन साथ में उसको मारता भी था।
उसकी और मेरी मुलाकात एक दिन जब हुई, जब वो अपनी सहेली से मिलने हमारे ऑफिस आई.. वहाँ आकर वो रोने लगी कि कैसे उसके ससुराल वाले उस पर जुल्म किया करते थे। मैं उसकी बातें वहीं एक तरफ बैठ कर ध्यान से सुनता रहा और बातें सुनने के साथ धीरे-धीरे उसको बार-बार देख भी रहा था।
अचानक उसने मुझे देख लिया कि मैं उसे बार-बार देख रहा हूँ.. मेरी तो गांड ही फट गई थी। मुझे लगा कहीं वो मुझे आकर कुछ बोल ना दे। फिर कुछ देर बाद वो वहाँ से चली गई, लेकिन मैंने देर ना करते हुए उसकी सहेली से उससे फ्रेंडशिप करने के लिए बोला।
 
बहुत देर तक समझाने के बाद उसकी फ्रेंड मान गई और अगले ही दिन उसने कोमल को बोल दिया कि विराट तुमसे फ्रेंडशिप करना चाहता है।
लेकिन कोमल ने बोला कि क्या उसे पता है कि मेरी शादी हो चुकी है और मेरा बेबी भी है?
उसने कहा- हाँ उसे पता है।
लेकिन फिर भी कोमल ने मना कर दिया।
फिर मैंने उसकी सहेली को बोला कि वो उससे रात में बात करके उसको मेरा नम्बर दे दे और उसकी सहेली ने ऐसा ही किया, उसने कोमल को मेरा नम्बर दे दिया।
फिर दो दिन बाद रात को करीब 11 बजे उसका व्हाटसैप पर मैसेज आया.. मैं समझ गया कि वो भी फ्रेंडशिप करना चाहती है।
हम लोग फिर बातें करने लगे और बात करते-करते रात कब निकल गई.. कुछ पता ही नहीं चला।
फिर अगले दिन उसका कॉल आया और मैंने उससे उसकी मॅरीड लाइफ के बारे में पूछा तो वो रोने लगी। फिर वो रोते हुए अपने पति के बारे में बताने लगी।
मैंने उसे चुप कराया और कहा- पति की जगह मैं हूँ ना।
वो हंस पड़ी और उसने मुझे ‘आई लाइक यू..’ बोला।
हम लोग ऐसे ही बात करते-करते सेक्स की बातें करने लगे।
फिर एक दिन ऐसा आया कि उसने मुझे अपने घर बुलाया क्योंकि उसका पति अक्सर बाहर ही रहता था। उस दिन जब मैं उसके घर गया तो वो एक सोफे पर बड़ी मादक अंदाज में बैठी थी। इस तरह बैठे हुए वो एकदम स्वर्ग की अप्सरा सी लग रही थी। क्या मस्त ड्रेस पहन रखी थी उसने.. ग्रीन सूट और सलवार में वो एकदम पटाखा लग रही थी।
उसके मम्मे पहले के मुक़ाबले और भी बड़े लग रहे थे। क्या उठी हुई गांड थी यार.. मेरा तो लंड ही खड़ा हो गया।
मेरे अन्दर जाते ही वो खड़ी हो गई। वो मेरे लिए पानी लेकर आई और फिर कोल्डड्रिंक लेकर आई। मैं धीरे-धीरे शिप करते हुए कोल्डड्रिंक पीने लगा और उससे बातें करने लगा। कुछ ही देर में मैं उसके साथ मस्ती करने लगा।
इतना करने के बाद वो रोने लगी कि एक तुम हो जो मुझे बात-बात पर हंसाते हो और एक मेरा पति है जो मुझे मारता है।
मैंने बोला- जानू मैं हूँ ना तेरा पति..
मेरे इतना कहते ही वो मुझसे बोली- सिर्फ नाम के ही पति हो.. या कुछ काम के भी हो?
मैं समझ गया था कि आज ये पक्का चुदेगी मुझसे।
मैं बोला- क्यों क्या काम करना है बताओ..?
वो शरमा गई।
फिर मैंने आगे बढ़ कर उसके गाल पर किस किया उसने मुस्कुरा कर मेरे किस का स्वागत किया तो मैंने अगला चूमा उसकी गर्दन पर अपनी गरम साँसें छोड़ते हुए किया। मेरे इतना करने पर वो एकदम हिल गई थी।
फिर उसने मुझे धक्का दिया और दूसरे कमरे में चली गई। कुछ पल रुकने के बाद मैं अपनी कोल्डड्रिंक लेकर उसके पीछे गया तो देखा कि वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में मेरे सामने बेड पर लेटी है।
मेरे अन्दर आते ही वो मुझे उंगली के इशारे से बुलाने लगी। उसको इस कामुक अंदाज में देख कर लगा कि आज मुझे जन्नत का दरवाजा दिख रहा है।
वाकयी लग रहा था कि खुद स्वर्ग की अप्सरा मुझे अपनी चुत चोदने का बुलावा दे रही है।
मैं भी देर ना करते हुए उसके पास गया। पहले उसके होंठ पर होंठ रख दिए। हम दोनों करीब 15 मिनट तक ऐसे ही बैठ कर एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे।
अह.. क्या रसीले होंठ थे उसके.. एकदम मुलायम और रस भरे.. मदमस्त चुसाई चल रही थी।

फिर मैंने उसकी गर्दन पर किस किया और धीरे-धीरे उसके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगा। इतने में ही वो तड़प उठी और उसने अपनी ब्रा उतार दी। फिर उसने मेरे मुँह में अपना एक चुची दे दी, मैं उसको रगड़ कर पीने लगा। साथ ही मैं उसकी पेंटी में हाथ घुसा कर चुत में एक उंगली करने लगा।
मेरे ऐसा करते ही वो और भी कामुकता से आहें भरने लगी ‘ऊहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्म्म..’
उसकी मादक सीत्कारें सुनकर मैं और मस्ती से चूत को कुरेदने में लगा रहा। फिर मैंने उसकी पैंटी फाड़ दी और अपना मुँह उसकी चुत पर रख दिया और उसको अन्दर से चाटने लगा।
मेरे ऐसा करने पर वो तड़प उठी और बोली- यार मैं मर जाऊँगी प्लीज़ अब चोद दे प्लीज़ यार आह..
इतना कहते ही करीब दो ही मिनट बाद वो झड़ गई और मैं उसका पूरा पानी पी गया। अब मैं अपने कपड़े उतारने लगा तो उसके मेरा अंडरवियर पकड़ कर मुझे अपने पास खींच लिया। मेरा लंड निकाल कर अपने मुँह में ले लिया और उसको लॉलीपॉप की तरह चाटने लगी और चूसने लगी।
करीब दस मिनट तक वो ऐसे ही करती रही। फिर ऐसा करने के बाद वो बोली- प्लीज़ विराट आज तुम मुझे अपनी बना लो.. हमेशा के लिए.. मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ.. मुझे क्या ऐसे ही तड़पाओगे.. आओ ना.. आज मुझे चोद दो और मुझे अपना बना लो।
मैंने ऐसा ही किया। उसकी चुत पर अपना लंड रखा और ज़ोर से धक्का दे मारा। इस तगड़े झटके से मेरा आधा लंड उसकी चुत में एक ही बार में चला गया। उसकी चीख निकल गई- क्या कर रहा है.. भैनचोद ऐसे तो मेरा पति भी नहीं करता.. आह.. बाहर निकाल अपने लंड को.. मैं मर जाऊँगी प्लीज़ जल्दी से बाहर निकाल।
मैंने उसको कुछ नहीं कहा और न ही उसकी बात पर कोई ध्यान दिया। बस मैं उसके मम्मों को पीने लगा और चुपचाप उसके ऊपर लेट गया।
फिर उसके मुँह से सीत्कारें निकलने लगीं ‘आआ हह.. उहह प्लीज़.. आआह..’
अब मैं धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगा.. लेकिन अभी मेरा आधा लंड ही अन्दर था।
फिर अचानक मैंने जोर से धक्का दिया तो इस बार मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चुत को चीरता हुआ घुस गया।
वो फिर से तड़प उठी और बोली- मुझे नहीं बनाना तुझे अपना खसम.. अआह.. उउह.. मार डाला बस कर..
अब वो मुझे गालियां देने लगी।
मुझे उस पर गुस्सा आ गया, मैंने एक हाथ से उसका मुँह दबाया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। ऐसा करने पर उसका चेहरा लाल पड़ गया और उसकी आँखों से आंसू आ गए।
लेकिन कुछ देर बाद सब शांत हो गया और वो भी अब मुझे अन्दर लेने लगी.. मेरा साथ देने लगी। फिर कभी उसको घोड़ी बना कर चोदता.. तो कभी उसकी एक टाँग अपने कंधे पर रख कर चुत पेलता, उसको मम्मों को और होंठों को बारी-बारी से चूसता हुआ उसको चोदता।
उसको भी मजा आ रहा था।
करीब दस मिनट बाद वो अकड़ गई और झड़ गई.. लेकिन मैं उसे लगातार चोदता रहा.. फिर 5 मिनट बाद मैं भी झड़ गया। मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में अन्दर ही छोड़ दिया।
फिर हम दोनों एक-दूसरे के ऊपर लेट गए। उस दिन मैंने उसकी चूत को 3 बार चोदा और उसकी गांड भी मारी।
बाद में मैं जब जाने लगा तो वो बोली- आज से तुम ही मेरे पति हो और तुम जब कहोगे, मैं तुम्हारे पास आ जाऊँगी।
उसके बाद हम लोग बार-बार मिलने लगे। वो काफ़ी रिच थी इसलिए वो मुझे पैसे भी देती थी।
एक दिन उसके पति को हमारे बारे में पता चल गया और फिर उसकी और मेरी बातें होना और मिलना बंद हो गया। पिछले महीने एक अननोन नम्बर से उसका कॉल आया था।
उसने बताया- तू बाप बन चुका है। मैंने एक लड़के को पैदा किया है.. जो कि तेरा है।
इतना कह कर उसने फोन कट कर दिया। आज भी मैं उसको याद करता हूँ तो मूड खराब हो जाता है।
आपको मेरी हिंदी चुदाई स्टोरी कैसी लगी मुझे ज़रूर बताएं।

सोमवार, 20 नवंबर 2017

प्रेमिका ने शादी से पहले सुहागरात मेरे साथ मनाई

दोस्तो, अमृता के साथ एक साल तक मैंने दिल्ली साथ जॉब की और इस दौरान हमने सेक्स का भरपूर आनन्द भी लिया. अगले साल उसका रिश्ता कहीं और हो गया और फिर जल्द ही उसकी शादी होने वाली थी इसलिए उसके घर वालों ने उसकी नौकरी छुड़वा कर उसे घर बुला लिया था.
जैसे कि हम दोनों में तय था कि जब तक प्यार और साथ रहने का मौका होगा हम निभाएंगे और बाद में कोई किसी को बिन कुछ कहे अपनी जिंदगी में आगे बढ़ सकता है. इसलिए मैंने भी उसे प्यार से विदा किया.
उसकी शादी से एक महीने पहले उसने मुझे फोन किया और कहा कि वो अपनी शादी से पहले एक बार मुझसे बेइंतहा प्यार करना चाहती है और मुझे उसकी यह ख्वाहिश जरूर पूरी करनी है. मेरे दिल में भी उसके लिए बहुत प्यार और आदर हमेशा के लिये है तो मैंने भी उसे मना नहीं किया.
वैसे उसके जाने के बाद मेरी लाइफ में सेक्स के लिए एक बहुत प्यारी भाभी मिल चुकी थी जिसके बारे में मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊंगा.
फिर अमृता और मैंने मिलने का प्लान बनाया. उसे शादी के लिए कुछ सामान लेना था जिसके बहाने वो दिल्ली मुझसे मिलने मेरे रूम पर भी आ गई बीच में समय निकाल कर!
मैंने उस दिन अपने कमरे को खासतौर सजाया हुआ था ताकि अमृता को शादी से पहले एक हसीं मधुर मिलन का यादगार तोहफा दे सकूँ. बिस्तर पर गुलाब पंखुड़ियाँ बिखेर रखी थी, कमरे में इत्र की सुंगध… जैसे ही अमृता कमरे में आई, पहले तो उसे कसकर गले लगाये रखा कुछ पल… फिर मैंने उसे गोद में उठा लिया और प्यार से बिस्तर पर बैठाया.
अमृता मुझे बेतहाशा चूमने लगी, वो एक पल भी व्यर्थ नहीं जाने देना चाहती थी. मैं भी उसकी भावनायें समझता था इसलिए मैं भी उस पर आज अपनी पूरी मोहब्बत बरसाने को तैयार था. कब हम दोनों के सारे कपड़े उतर गये, हमें पता ही नहीं चला.
अमृता के गुलाबी लबों को अपने लबों में लेकर जी भर के चूसा उन्हें मैंने… फिर उसे लिटा दिया और डेरी मिल्क सिल्क चोकलेट को अमृता के कोमल मुलायम स्वादिष्ट दुग्ध कलशों पर अच्छे से लगाई और फिर उसके बूब्स को चूमना और ज़बरदस्त चूसना शुरू किया.
ऐसे ही उसकी नाभि को चूमते हुए कुछ चॉकलेट मैंने अमृता की चिकनी चूत पर लगाई और उसकी चूत को दिल खोल कर चाटा. उसकी चूत का वो खट्टा रस चॉकलेट के स्वाद के साथ मिक्स होकर बहुत जायकेदार हो गया था.
फिर अमृता ने भी मेरे लंड के साथ वैसा ही किया.

उसके बाद अमृता ने मुझे नीचे लिटा दिया और खुद उपर बैठकर लंड अपनी चूत में लेकर मेरे लंड पर कूदने लगी. करीब 5 मिनट में ही वो थक गई और मैंने उसे नीचे लिटाया. अमृता के दोनों पैरों को मोड़कर ऊपर किया और उसकी अवस्था में अपना लंबा लंड मैंने अमृता की चूत में डालकर उसे असीम आनन्द दिया उम्म्ह… अहह… हय… याह… और खुद भी अपनी चरम अवस्था में पहुँच गया.
फिर कई पोजीशन में करीब 4-5 बार हमने सेक्स का आनन्द लिया और फिर आधे घंटे तक हम दोनों नंगे ही एक दूसरे के साथ यों ही चिपक कर लेटे रहे.
वो शाम अमृता के लिए शादी से पहले उसकी हसीन सुहागरात जैसी थी.
उसकी आँखों में आंसू थे क्यूंकि वो कभी खोना नहीं चाहती थी मुझे… पर मैंने भी उसे कभी न भूलने का वादा किया.

वो चली गई और कुछ दिन बाद उसकी शादी हो गई. अभी उसकी शादी को दो साल हो गये हैं पर हम दोनों में आज भी सच्ची दोस्ती है हमेशा के लिए!
दोस्तो, मेरे जीवन में इस छोटी उम्र में भी सेक्स की कई सच्ची घटनायें हुई हैं जिनका आगे की कहानियों में मैं आपको वर्णन करता रहूँगा. मेरा हमेशा से यही तरीका रहा है कि मैं जिससे भी सम्बन्ध बनाता हूँ, सच बोलकर बनाता हूँ. सेक्स प्यार और विश्वास की ही तो कहानी है दोस्तो!
आप सभी का एक बार फिर से शुक्रिया करता हूँ मेरी सच्ची कहानी को अपना समर्थन देने के लिए. आपकी प्रतिक्रियाओं और मेल का स्वागत है.

चचेरी बहन की कुंवारी बुर की चुदाई की कहानी

यह सारांश मौजूद नहीं है. कृपया पोस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें .

Chhoti Bahan kaa Choot Phada

यह सारांश मौजूद नहीं है. कृपया पोस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें .