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शुक्रवार, 24 नवंबर 2017

बगल वाली और फिर कजिन को चोदा

बात करीब ३-४ महीने पहले की हे जब हमारे घर में फंक्शन था और सब आये हुए थे. सोरी में पहले अपने बारे में बताना भूल गया मेरी उमर १८ साल हे और में अभी पढाई करता हु, मेरा लंड की साइज़ ६.५ इंच हे.
तो मेने जैसा बताया की हमारे घर में फेमिली फंक्शन था और सब आये हुए थे और मेरे घर के आस पास के पडोसी भी आये हुए थे और उनमे से एक लड़की थी सिमरन जिसके साथ मेने पहले कभी चोदा नहीं था.
फंक्शन ख़त्म होते होते करीब एक बज गये थे और सब थक गये थे तो सब जहा जगह मिले वहा पर सो गए और में छत में चला गया था और मेने वहा पर सिमरन को भी बुला लिया था. उसका घर मेरे घर के एकदम बगल में था तो आराम से इधर से उधर आ जा सकते थे.
तो में वहा पर आके पहले अपना बिस्तर लगा के लेट गया था और सिमरन का इंतजार करने लगा था और मुझे पता ही नहीं चला और कब मेरी आँख लग गयी थी. तभी थोड़ी देर में मुझे कुछ अजीब सा लगा और मेरी आँख खुली तो मेने देखा की सिमरन मेरा लंड पकड़े हुए हे और उसको चूस थी थी. उसने मुझे देखा और कहा की जाग क्यों गये अब मुझे अपना लौड़ा चुदने नहीं दोगे तो मेने स्माइल दी और कहा चुसो तुम्हारा ही हे.
फिर वह चूसने लगी और खूब देर चूसने के बाद वह मेरे उपर आकर मुझे लिप किस करने लगी और उसने ५ मिनिट तक किस किया.
फिर में उसके बूब्स बहार से दबाने लगा और उसके मुह से अहह हो अह हह अह हू हो अह हह्ह्ह आवाज आने लगी थी फिर मेने उसका नाईटी उतार दिया था आयर वह सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी. क्या मस्त माल लग रही थी उसके बड़े बड़े बूब्स ब्रा से बहार आने को तरस रहे थे.
मेने उसकी ब्रा को उतार दिया और उसके बड़े बड़े बूब्स को दबाने लगा और चुसने लगा और उस के मुह से आह अ हह ओया ऊया गग्ग ओह अघ्ग हहह ओह अहह हो अह्ह्ह निकल रही थी और वह बोल रही थी की और चुसो सारा दूध ख़त्म कर दो और चुसो. कुछ देर के बाद बूब्स मेने उसकी पेंटी उतारी और वाह क्या मस्त चूत थी. उस पर एक भी बाल नहीं था छत पर लाईट लगी थी तो मुझे सब साफ साफ नजर आ रहा था और मेने उसकी चूत को जैसे ही अपनी जीभ से चाटा वह उछल पड़ी जैसे उसके पुरे बदन में बिजली दौड़ गयी हो. फिर में उसकी चूत को चाटने लगा कभी अपनी ऊँगली उसकी चूत में डालता तो कभी अपनी जीभ से चाट रहा था और वह सिर्फ अहः ओह अहह हो अ हहह इअई फ अहह अहः ओह अह्ह्ह आवाज निकाल रही थी.
अचानक से मेरी नजर छत के गेट पर गयी मुझे ऐसा लगा की कोई हे वहा पर फिर मेने ध्यान हटाया और चूत को चाटने लगा. फिर मेने चूत चाटते देखा तो दंग ही रह गया. गेट के पास शगुन खड़ी थी और वह बहोत देर से हम लोगो को देख रही थी और उसने अपना हाथ अपनी पेंटी के अंदर डाला हुआ था आयर अपनी चूत को रब कर रही थी.
शगुन मेरी कजिन हे और मेने सोचा की इसको भी जॉइन करने के लिए कहता हु और वह मेरे उमर की हे और एकदम सेक्सी और बड़े बड़े बोबे वाली हे.
मेने बिना कुछ सोचे थोडा तेज आवाज में बोला ताकि उस तक आवाज जा सके मने कहा ऊँगली से करते करते हाथ दर्द कर रहा होगा आओ में अपना लौडा डालता हु शगुन. वह यह सुन कर एकदम दंग रह गयी और गेट के पीछे से बहार आ गयी और बोली हां यार हाथ दर्द करने लगा अब तुम्हारा लंड ही मेरी भूख मिटा सकता हे.
फिर मेने उसको अपने गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटाया आयर उसके बूब्स को दबाने लगा. सिमरन और वह आपस में किस कर रहे थे फिर मेने शगुन का टॉप उतारा और बूब्स को ब्रा के उपर से दबाने लगा. एक बूब में दबा रहा था और एक सिमरन हम दोनों उसके बूब्स चूस भी रहे थे और वह आह हो अह हहो अह हो अहह चुसो बोल रही थी.
फिर मेने पहले सिमरन की टांगे फैलाई और अपना लंड उपर रगड रहा था और वह बोल रही थी अब अंदर डालो नहीं तो में अपना हाथ डाल दूंगी पूरा. प्लीज़ चोदो मुझे तो मेने ज्यादा देर न करते हुए एक ज़टका मारा और मेरा लंड का सुपाडा अंदर चला गया और उसकी चीख निकल गयी तो शगुन ने अपना लिप्स से उसे किस करने लगी और अब मुझे भी थोडा दर्द हो रहा था, मुझे लग रहा था जैसे की मेरे लंड की खाल निकल रही हो और फ्फिर कुछ देर बाद मेने अपना पूरा लंड अंदर डाल दिया और चुदाई चालू कर दी.
फिर में सीधे लेट गया और सिमरन मेरे लंड के उपर बैठ कर चुदाने लगी और शगुन मेरे मुह के ऊपर आ गयी और में उसकी चूत चाट रहा था कुछ देर बाद में जड़ गया और दोनों साथ चिपक के बूब्स को दबाने लगे और किस करने लगे थे.
कुछ देर बाद में फिर से रेडी हो गया था और अब शगुन की बारी थी. मेने उसको एक बार में ही पूरा लंड अंदर डाल दिया और उसके मुह से गाली निकल गयी और बिलने लगी मादरचोद इतनी तेज़ी दे क्यों डाला चूत को फाड़ दिया मेरी मादरचोद कही के. फिर कुछ देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो मेने उसकी चुदाई चालू कर दी. सिमरन मेरे मुह के पास आ गयी और मेने उसके भी बूब्स चुसे और चूत चाटी और मेने बारी बारी दोनों को २ बार चोदा. जब मेने पहले बार सिमरन के बुर में लंड डाला तो मुझे थोडा दर्द हुआ था लेकिन बाद में मजा आने लगा था. जब में सिमरन को चोदता तब शगुन अपना बुर चटवाती और जब शगुन को चोदता तो सिमरन अपना बुर चुसवाती. हमने करीब सुबह ४ बजे तक मजा किया.

रेगिस्तान में रंगीन हुई एक रात

मेरा नाम सूरज है, मैं राजस्थान में एक छोटे से गांव का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 21 साल की है, कद 5 फीट 9 इंच का है। मैं शहर में नौकरी करता हूँ, इस कारण गांव में एकाध महीना ही गुजार पाता हूं।
मेरी कहानी या यूं कहें कि जो हकीकत में मेरे साथ हुआ.. वो मैंने कभी सोचा तक नहीं था।
तो बिना आप सब का वक्त गंवाए शुरू करता हूँ कि आखिर ऐसा क्या हुआ मेरे साथ और किस प्रकार मैंने एक रेगिस्तानी इलाके में एक अनजान लड़की के साथ एक रंगीन रात गुजारी।
 
एक बार मैं और मेरा दोस्त विकास बाईक से किसी काम के सिलसिले में हमारे गांव से करीब 70 किलोमिटर दूर गए थे.. जून महीने की शुरुआत में गर्मियों वाले दिन थे।
हम दोनों काम निपटा कर जब लौटने लगे.. तब शाम के 6:30 बज चुके थे। अभी कुछ किलोमीटर ही चले होंगे कि अचानक बाईक का पिछला टायर पंचर हो गया। रेगिस्तानी एरिया था.. दूर-दूर तक कोई गांव या पंचर की दुकान नजदीक नहीं दिख रही थी।
अब मैं और विकास पैदल बाईक को खींचते-खींचते करीब दो किलोमीटर चले होंगे कि रात हो चुकी थी.. हम दोनों बाइक खींचते-खींचते थक चुके थे। तभी पास में एक कच्चा घर दिखाई दिया, तो उसे देख कर थोड़ी राहत मिली। हम दोनों ने तय किया कि आज रात यहीं रूक जाएंगे।
सो साहब चल दिए उस घर की ओर.. वहाँ जाकर बाईक को साइड में खड़ा किया और देखा तो सामने से एक बुजुर्ग व्यक्ति, जो करीब 55 साल के रहे होंगे, वो हमारे पास आए और बोले- पधारो सा.. खम्मा घणी सा..
हमने भी हाथ जोड़कर ‘खम्मा घणी..’ बोला.. उन्होंने हम से कुछ भी नहीं पूछा और दो खटिया लगा दीं.. उस पर हम दोनों बैठ गए।
फिर उन्होंने हालचाल पूछा और इधर-उधर की बातें की।
कुछ देर बाद खाना खाने के लिए उन्होंने हम दोनों को घर के आंगन में बुलाया।
हम दोनों वहाँ आ गए.. उधर चटाई बिछाई हुई थी.. उस पर जाकर बैठ गए।
गांव था.. तो घर में लाईट तो थी ही नहीं.. बस एक लालटेन जल रही थी।
हम में से कोई भी किसी का चेहरा उस रोशनी में साफ नहीं देख सकता था। वहाँ लालटेन की रोशनी में उस परिवार में कुल पाँच सदस्य दिखाई दे रहे थे। दो वो पति-पत्नी और दो लड़कियां थीं, शायद उनकी बेटियां रही होंगी.. और एक शादीशुदा स्त्री थी जो घूंघट में थी। वो पता नहीं बेटी थी या उनकी बहू थी। क्योंकि हम अन्जान थे उस गांव में तो हमने उनसे उनके परिवार के बारे में ज्यादा सवाल भी नहीं किए।
खैर.. खाना परोसा गया, मैं और विकास एक साथ ही थाली में खाने के लिए बैठे थे।
जल्दी ही हमारा पेट भर गया हम थाली धोने को लेकर उठने ही वाले थे कि अचानक एक लड़की, जिसकी उम्र कमसिन रही होगी.. वो हाथ में तीन चार रोटी लेकर आई और एकदम से हमारी थाली में डालते हुए बोली- जीजा सा, इतनी जल्दी भी क्या है, पेट भर गया क्या? दोनों साथ में बैठे हो.. आराम से पेट भर के खाइए.. आप शादी के बाद पहली बार सासरे आए हैं।
हम दोनों तो ये सुन कर भौंचक्के से रह गए.. क्योंकि हम तो कभी इस गांव की तरफ आए तक नहीं थे और ये हमें इस तरह से बुला रही है।
खैर.. हमने बिना कोई जवाब दिए खाना खाया और खटिया पर आकर सो गए।
थकान के कारण विकास तो जल्द ही नींद के खर्राटे लेने लगा.. पर मेरे दिमाग में तो बस एक ही सवाल था कि मैं इनका जीजा कैसे हुआ।
थोड़ी देर सोचने के बाद मेरी भी आंख लगने ही वाली थी कि कोई मेरे पैरों की उंगली खींचने लगा, मैंने चौंककर अंधेरे में फोन का उजाला करके देखा तो वही लड़की थी.. जिसने रोटी थाली में डाली थी।
मैं कुछ बोलता उससे पहले ही वो दबी आवाज में बोल पड़ी- जीजा सा, मैं अपना परिचय करवाती हूँ आपसे.. मैं आपकी सबसे छोटी साली मीना हूँ, मेरे से बड़ी रेखा और सबसे बड़ी दीदी का नाम तो याद ही होगा न आपको.. या अपनी घरवाली का नाम भी मैं ही बताऊं.. चलो बता ही देती हूँ.. शायद आप भूल गए होंगे, तो दीदी का नाम कमला है।
इतना कहकर वो दबी आवाज में हंसने लगी।
उसकी बात सुनकर मैं भी मुस्कुरा पड़ा।
मैं अभी कुछ बोलता कि फिर वो बोल पड़ी- जीजा सा, मैं जिस काम के लिए यहाँ आई थी.. वो तो बातों-बातों में कहना भूल ही गई। हाँ तो.. आपका बिस्तर इधर नहीं, घर के पीछे लगाया है.. वहाँ जाकर लेटो। चलो अंधेरे में आपको रास्ता नहीं मिलेगा, मैं आपको आपकी खटिया तक छोड़ देती हूँ।
इतना कहकर मीना ने मेरा हाथ खींचकर मुझे उठाया और बोली- चलो भी, इतना क्यों शर्माते हो।
अब उसने मुझे झोपड़े के पीछे खटिया पर लगाये गए बिस्तर पर ले जाकर बिठा दिया।
मीना बोली- अब मैं तो चलती हूँ जीजा जी अपना ख्याल रखना.. थोड़ी देर बाद कोई आएगा तो अंधेरे में आप उनसे डरना मत।
अब मेरे समझ में आने लगा कि ये लोग मुझे अपना दामाद मान रहे हैं और दामाद जब पहली बार सासरे जाता है तो वो एक साथी के साथ शाम को दिन ढलने के बाद ही वहाँ पहुँचता है। यहाँ लगता है वो शादीशुदा लड़की कमला ही है.. उसके पति गौना करने आए नहीं है.. शायद शादी नई-नई हुई है। अभी मैं इन्हीं विचारों में था कि मुझे किसी के आने की आहट महसूस हुई।
थोड़ी देर बाद मेरी खटिया के पास आकर एक औरत खड़ी हो गई। लहंगा-चोली में चुन्नड़ ओढ़े हुए करीब साढ़े पांच फिट लंबी थी.. पतली कमर थी, पास में खड़ी बड़ी मस्त लग रही थी।
वो धीमी आवाज में बोली- लो जी, पानी पी लो।
और उसने गिलास मेरे हाथ में थमा दिया
रात अंधेरी थी.. हम एक-दूसरे का चेहरा भी नहीं देख सकते थे। मैंने पानी पिया और बोला- आप बैठ जाओ।
वो मेरे पास खटिया पर बैठ गई और बोली- हमारी शादी के बाद आपने ना तो मुझे फोन किया और न ही मुझे अपना नम्बर दिया और आने तक की खबर भी नहीं दी.. शादी में एक रात ही तो साथ में रहे थे.. वो भी मेहमानों के बीच.. ना तो मैंने आपका चेहरा देखा और ना ही आपने मेरा चेहरा देखा।
दोस्तो, एक बात बताना चाहूंगा कि हमारे गाँवों के रीति रिवाज अनुसार शादी होने तक लड़का लड़की एक-दूसरे से नहीं मिल सकते हैं और शादी होने के बाद लड़की ससुराल जाती है तो एक या दो दिन ही ससुराल रहती है।
अब उन दो दिनों में कई जोड़ों की तो सुहागरात भी नहीं हो पाती है, ऐसा ही कमला के साथ भी हुआ था।
मैं तो दुविधा में पड़ गया कि यार कहाँ आ फंसे.. मैं सोचने लगा कि अब क्या करूँ, फिर सोचा कमला को एक बार ठीक से देख तो लूँ।
मैंने मोबाईल निकाला और उसके उजाले को पास बैठी कमला के चेहरे के सामने ले गया।
वाह.. चेहरे में क्या देसी खूबसूरती थी, जैसे कीचड़ में गुलाब का खिलना.. उसी प्रकार रेगिस्तानी झोपड़ी में भी इतनी सुन्दर सी परी.. कमला का चेहरा एकदम गोरा.. रस भरे लाल होंठ उजाले के सामने थरथरा रहे थे। उसके माथे पर चुँदड़ी बड़ी प्यारी लग रही थी।
मैंने मोबाईल को चेहरे से थोड़ा नीचे सरकाया तो क्या कयामत लग रही थी। उसकी छाती बैचेनी से ऊपर-नीचे हो रही थी.. उस पर उसके दो मस्त कड़क और एकदम कसे हुए चूचे भी ऊपर-नीचे हो रहे थे… एक मासूम सी बला थी कमला।
अब उसके हिलते हुए मम्मों को देखकर मेरे अन्दर भी वासना जगने लगी। मेरी पैन्ट में तंबू खड़ा होने लगा। मैंने धीरे-धीरे कमला के पूरे शरीर को फोन के उजाले में निहार लिया.. वो एकदम गोरी थी।
फिर मेरे मन में ख्याल आया कि ‘नहीं सूरज, तुम इन भोले भाले लोगों के साथ धोखा नहीं कर सकते.. इन्होंने तुझे मेहमान बनाकर भगवान की पूजा की तरह सेवा की है और तू इन्हें ही धोखा देना चाहता है, नहीं.. नहीं…’
मैं इस सोच में डूबा ही था कि कमला ने अपना हाथ मेरे चेहरे पर फेरते हुए पूछा- क्या हुआ.. कहाँ खो गए.. आप कुछ बोलते भी नहीं.. हमसे नाराज हो क्या?
मैंने चुप्पी साध रखी थी।
फिर वो बोली- इसमें मेरी क्या गलती कि हमारी सुहागरात ना हो पाई थी.. आज बिन्दास होकर सुहागरात मना लो।
इतना कहकर कमला अपने मुँह को मेरे मुँह के करीब लाई और अपने होंठों को मेरे होंठों से चिपका लिया। अब मैं भी सब कुछ सोचना छोड़ कर कि जो होगा सुबह देखा जाएगा, उसके अपने होंठों से उसके होंठों का रसपान करने लगा।
क्या रसीले होंठ थे.. चूसने में बड़ा मजा आ रहा था। मैंने अपनी जीभ को कमला के मुँह में अन्दर तक डाल-डाल कर उसकी जीभ चूसी और उसके मुँह को करीब दस मिनट तक चूसता रहा।
हम दोनों ने एक-दूसरे के होंठों को भी खूब चूमा.. जब साँस लेना कठिन हो गया तब जाकर हम दोनों अलग हुए।
मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था.. लंड पैन्ट में फड़फड़ा रहा था। मेरा लंड करीब सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा है।
अब मैंने कमला को खटिया पर सीधा लिटा दिया और मैं उसके बगल में एक साइड कोहनी के बल लेट गया और अपना मुँह उसके मुँह के ऊपर ले गया। कमला लंबी साँसें लिए जा रही थी, उसकी गर्म साँसें मुझे मदहोश कर रही थीं।
मैंने अपना एक हाथ कमला के कड़क तने हुए मम्मों पर रखकर धीरे से उसे मसला कि कमला के मुँह से सिसकारी निकलने लगी।
फिर मैंने उसके ब्लाऊज के बटनों को खोल दिया।
मैंने कमला के ब्लाउज के बटन खोल दिए, रात काफी हो चुकी थी, आसमान में चाँद निकल हुआ था। कमला ने काली ब्रा पहनी हुई थी, जो चाँद की रोशनी में उसके गोरे बदन पर बड़ी मस्त लग रही थी।
मैंने धीरे से उसके शरीर से उसकी ब्रा को भी अलग कर दिया।
क्या मम्मे थे यार… बड़े ही मस्त कड़क तने हुए थे। मैंने दोनों हाथों से दोनों मम्मों को पकड़ कर धीरे-धीरे मसलना शुरू किया.. कमला अपने मुँह से दबी आवाज में बड़ी ही मादक आवाज निकाल रही थी।
मैंने एक हाथ से उसके बोबे का मसलना चालू रखा और दूसरे हाथ को धीरे से नीचे खिसकाते हुए उसके पेट और नाभि पर हल्का-हल्का फिराने लगा। कमला पैरों की दोनों एड़ियों को आपस में रगड़ते हुए पैर पटक रही थी.. अब वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी। मैंने अपना मुँह उसकी नाभि पर टिका दिया और अपनी जीभ को उसकी नाभि के अन्दर फिराने लगा। मेरे इस चुम्बन से कमला की हालत बुरी हो रही थी।
मैंने अब अपने आपको ज्यादा देर ना करना उचित समझते हुए उसके लहंगे का नाड़ा खोल दिया और पैर से लहंगा नीचे खींच लिया। कमला की चिकनी गोरी जांघें चांद की रोशनी में बड़ी मस्त लग रही थीं।
उसने अन्दर नीले रंग की चड्डी पहनी हुई थी। मैंने धीरे से उसे भी निकाल दिया। अब कमला खटिया पर एकदम नंगी पड़ी हुई थी।
मैंने तो आज तक ऐसा नजारा कभी ख्वाब में भी नहीं देखा था, जिस तरह से अभी कमला को देख रहा था।
मेरा लंड फुंफार मार रहा था, वो तो टूट कर कमला की चुत में घुसने को बेताब था। अब मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपने लंड को कमला के हाथ में थमा दिया। लंड पकड़ते समय कमला शर्मा रही थी। कमला को मैंने बोला- इसे धीरे-धीरे हाथ से हिलाओ।
वो ऐसा ही करने लगी।
मैंने अब अपने हाथ को कमला की चुत पर रखा और एक उंगली को उसकी चुत के अन्दर डालने लगा। जैसे ही आधी उंगली उसकी चुत में गई होगी कि कमला उछल पड़ी और बोली- दर्द हो रहा है।
मैंने धीरे से एक-दो बार कोशिश की तो पूरी उंगली अन्दर तक चली गई। अब मैं उंगली को चुत में अन्दर-बाहर करने लगा। इससे कमला के पूरे शरीर को कसावट भरने लगी और वो जोर की सांसें लेने लगी।
अब उसने मेरे लंड को हिलाना छोड़ दिया मैंने भी अपनी उंगली को बाहर निकाला और एक बार फिर कमला के होंठों पर चुम्बन किया।
कमला बोली- अब देर ना करो, मुझसे और इन्तजार सहा नहीं जा रहा।
मैंने कमला को खटिया के एक कोने पर लिटाया और उसके दोनों पैरों को जमीन से टच करा दिया। मैं दोनों घुटनों के बल जमीन पर कमला के पैरों के बीच खड़ा हो गया, जिससे अब मेरा लंड कमला की चुत के बिल्कुल सामने आ गया था।
मैंने अब धीरे से कमला के पैरों के बीच आगे खींचते हुए अपने लंड को उसकी चुत पर टिका दिया और हल्के से लंड को उसकी चुत और जांघों पर रगड़ने लगा।
मेरी इस हरकत से कमला पागल हुई जा रही थी। वो बोली- प्लीज और ना तड़पाओ.. वरना मैं मर जाऊंगी.. जल्दी से डाल दो अपना लंड मेरी फुद्दी में.. और बुझा दो इसकी आग को।
मैंने भी देर ना करते हुए लंड के सुपारे को चुत पर टिका कर हल्का सा धक्का लगाया.. पर लंड फिसल के नीचे हो गया।
मैंने फिर टिका के धीरे-धीरे लंड पर दबाव डाला.. जिससे लंड का सुपारा चुत में घुस गया। उधर कमला को बड़ा दर्द होने लगा.. वो मुझे अपने हाथों से पीछे धकेलने लगी, पर मैं उसी पोजिशन में खड़ा रहा। थोड़ी देर जब कमला थोड़ी शान्त हुई तो फिर से धीरे से धक्का लगा दिया। अब मेरा लंड करीब चार इंच अन्दर घुस गया था.. कमला दर्द के मारे रोने लगी।
मैंने अब थोड़ा इन्तजार करने के बाद लंड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे चुत में चिकनापन आने लगा और लंड को अन्दर-बाहर होने में आसानी होने लगी। मैंने एक अब बार अपना पूरा लंड बाहर निकाल के फिर से जोर का धक्का मारा.. इस बार लंड पूरा का पूरा अन्दर घुस गया।
कमला चीख पड़ी- ऊहहहई माँह.. उहह मर गईईई..
मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया ताकि उसकी चीख से कोई जग ना जाए।
थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद जब कमला का दर्द कम हुआ तो उसने गांड हिलाना शुरू कर दिया। मैं समझ गया की अब माल चुदने को तैयार है, तो मैंने अब धक्के लगाना चालू कर दिए।
करीब दस मिनट तक धक्के मारने के बाद मैंने उसे घोड़ी की स्टाइल में खड़ा होने को कहा।
कमला अब घुटनों के बल जमी पर खड़ी हो गई। उसका पेट से ऊपर का हिस्सा खटिया पर ही था। मैं अब कमला की गांड के पीछे खड़ा हो गया और पीछे से लंड को उसकी चुत में घुसा दिया। अब मैं जोर-जोर से धक्के मारने लगा। कमला को भी बड़ा मजा आ रहा था और वो भी गांड हिला-हिला के लंड को चुत में ले रही थी।
करीब दस मिनट बाद कमला अकड़ने लगी और अपनी चुत को सिकोड़ने लगी। मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। कमला ने जोर की चीख के साथ चुत से गर्म-गर्म लावा छोड़ दिया.. वो झड़ चुकी थी।
मैं भी चरमचीमा पर पहुँचने वाला था इसलिए लंड को जोरों से अन्दर-बाहर कर रहा था। करीब दो मिनट के बाद मैं जोर से हाँफने के साथ चीख के साथ लंड को चुत से बाहर निकाल लिया और तभी मेरे लंड से पिचकारी फूट पड़ी। लंड का सारा माल मैंने कमला की पीठ पर बिखेर दिया। हम दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे.. थक गए थे। दोनों खटिया पर चित्त होके सो गए।
दस मिनट बाद जब चैन की सांस आई तो मैंने फोन निकाल कर टाइम देखा तो सुबह के पौने पांच बज चुके थे।
मैंने कमला को किस किया और बोला- सुबह हो गई है, अब हमें अपने पहले वाले बिस्तर पर चलना चाहिए।
कमला बोली- ठीक है.. फिर कब आओगे?
मैंने बोला- जब ऊपर वाला मिलाएगा तब..
और मैं हंस पड़ा.. कमला भी मुस्कुरा दी।
मैंने कमला से पूछा- आपके घर में हवा भरने का पंप है?
कमला बोली- हाँ है।
तो मैंने कहा- आप वो मेरी बाइक के पास रख आना.. मेरी बाईक में रात को पंचर हो गया था।
कमला बोली- ठीक है।
अब मैं और कमला चल दिए।
झोपड़े के पीछे से आकर उसने लाकर पंप बाइक के पास रख दिया।
मैंने अब विकास को उठाया और टायर में हवा भरने का बोला। उसने उठ कर हवा भर दी।
साढ़े पांच हो चुके थे.. मैंने सोचा यहाँ से निकल जाना चाहिए वरना सुबह सब उठ गए और चेहरा पहचान लिया तो मारे जाएंगे।
फिर हम दोनों दोस्त वहाँ से रवाना हो गए।
इसके बाद फिर कभी उस गांव की ओर नहीं गए।
मैंने जो मेरे साथ रात में घटना हुई इसे आज तक किसी को नहीं बताया है.. विकास भी इस बात से अन्जान है।
लेकिन यह घटना अपने मन में छुपा न सका, इसलिए आप सब दोस्तों के साथ शेयर कर दी। उम्मीद करता हूँ आप सबको मेरी कहानी पसन्द आएगी।

बुधवार, 22 नवंबर 2017

प्यारी पंजाबन शादीशुदा गर्लफ्रेंड की हिंदी चुदाई स्टोरी

ह हिंदी चुदाई स्टोरी एक पंजाबन लड़की की है.
पिछले साल मैं दिल्ली में जॉब कर रहा था तो वहाँ मेरी मुलाकात एक ऐसी हसीन परी से हुई, जिसका नाम कोमल था। वो पंजाबन थी और आपको तो पता ही है कि पंजाबी लड़कियां कैसी कड़क और एकदम माल जैसी दिखती हैं। कोमल भी एक ऐसी ही हसीना थी, जो उसे एक बार देख लेता.. बस फिर वो उसे देखता ही रहता है। क्या कहूँ उसके बारे में.. बड़ी-बड़ी आँखें, पिंक कलर के होंठ और मदमस्त फिगर तो सन्नी लियोनी से भी अच्छा 32-28-34 का जानलेवा फिगर था। यारों वो चलती-फिरती किलर मशीन थी। उसका रंग तो ऐसा गोरा कि दूध भी शर्मा जाए। बस एक ही दिक्कत थी कि वो शादीशुदा थी। उसकी 3 साल पहले अरेंज मैरिज हो चुकी थी और उसका एक बेबी भी था।
लेकिन समस्या ये थी कि उसका पति उसको सेक्स का सुख तो देता था लेकिन साथ में उसको मारता भी था।
उसकी और मेरी मुलाकात एक दिन जब हुई, जब वो अपनी सहेली से मिलने हमारे ऑफिस आई.. वहाँ आकर वो रोने लगी कि कैसे उसके ससुराल वाले उस पर जुल्म किया करते थे। मैं उसकी बातें वहीं एक तरफ बैठ कर ध्यान से सुनता रहा और बातें सुनने के साथ धीरे-धीरे उसको बार-बार देख भी रहा था।
अचानक उसने मुझे देख लिया कि मैं उसे बार-बार देख रहा हूँ.. मेरी तो गांड ही फट गई थी। मुझे लगा कहीं वो मुझे आकर कुछ बोल ना दे। फिर कुछ देर बाद वो वहाँ से चली गई, लेकिन मैंने देर ना करते हुए उसकी सहेली से उससे फ्रेंडशिप करने के लिए बोला।
 
बहुत देर तक समझाने के बाद उसकी फ्रेंड मान गई और अगले ही दिन उसने कोमल को बोल दिया कि विराट तुमसे फ्रेंडशिप करना चाहता है।
लेकिन कोमल ने बोला कि क्या उसे पता है कि मेरी शादी हो चुकी है और मेरा बेबी भी है?
उसने कहा- हाँ उसे पता है।
लेकिन फिर भी कोमल ने मना कर दिया।
फिर मैंने उसकी सहेली को बोला कि वो उससे रात में बात करके उसको मेरा नम्बर दे दे और उसकी सहेली ने ऐसा ही किया, उसने कोमल को मेरा नम्बर दे दिया।
फिर दो दिन बाद रात को करीब 11 बजे उसका व्हाटसैप पर मैसेज आया.. मैं समझ गया कि वो भी फ्रेंडशिप करना चाहती है।
हम लोग फिर बातें करने लगे और बात करते-करते रात कब निकल गई.. कुछ पता ही नहीं चला।
फिर अगले दिन उसका कॉल आया और मैंने उससे उसकी मॅरीड लाइफ के बारे में पूछा तो वो रोने लगी। फिर वो रोते हुए अपने पति के बारे में बताने लगी।
मैंने उसे चुप कराया और कहा- पति की जगह मैं हूँ ना।
वो हंस पड़ी और उसने मुझे ‘आई लाइक यू..’ बोला।
हम लोग ऐसे ही बात करते-करते सेक्स की बातें करने लगे।
फिर एक दिन ऐसा आया कि उसने मुझे अपने घर बुलाया क्योंकि उसका पति अक्सर बाहर ही रहता था। उस दिन जब मैं उसके घर गया तो वो एक सोफे पर बड़ी मादक अंदाज में बैठी थी। इस तरह बैठे हुए वो एकदम स्वर्ग की अप्सरा सी लग रही थी। क्या मस्त ड्रेस पहन रखी थी उसने.. ग्रीन सूट और सलवार में वो एकदम पटाखा लग रही थी।
उसके मम्मे पहले के मुक़ाबले और भी बड़े लग रहे थे। क्या उठी हुई गांड थी यार.. मेरा तो लंड ही खड़ा हो गया।
मेरे अन्दर जाते ही वो खड़ी हो गई। वो मेरे लिए पानी लेकर आई और फिर कोल्डड्रिंक लेकर आई। मैं धीरे-धीरे शिप करते हुए कोल्डड्रिंक पीने लगा और उससे बातें करने लगा। कुछ ही देर में मैं उसके साथ मस्ती करने लगा।
इतना करने के बाद वो रोने लगी कि एक तुम हो जो मुझे बात-बात पर हंसाते हो और एक मेरा पति है जो मुझे मारता है।
मैंने बोला- जानू मैं हूँ ना तेरा पति..
मेरे इतना कहते ही वो मुझसे बोली- सिर्फ नाम के ही पति हो.. या कुछ काम के भी हो?
मैं समझ गया था कि आज ये पक्का चुदेगी मुझसे।
मैं बोला- क्यों क्या काम करना है बताओ..?
वो शरमा गई।
फिर मैंने आगे बढ़ कर उसके गाल पर किस किया उसने मुस्कुरा कर मेरे किस का स्वागत किया तो मैंने अगला चूमा उसकी गर्दन पर अपनी गरम साँसें छोड़ते हुए किया। मेरे इतना करने पर वो एकदम हिल गई थी।
फिर उसने मुझे धक्का दिया और दूसरे कमरे में चली गई। कुछ पल रुकने के बाद मैं अपनी कोल्डड्रिंक लेकर उसके पीछे गया तो देखा कि वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में मेरे सामने बेड पर लेटी है।
मेरे अन्दर आते ही वो मुझे उंगली के इशारे से बुलाने लगी। उसको इस कामुक अंदाज में देख कर लगा कि आज मुझे जन्नत का दरवाजा दिख रहा है।
वाकयी लग रहा था कि खुद स्वर्ग की अप्सरा मुझे अपनी चुत चोदने का बुलावा दे रही है।
मैं भी देर ना करते हुए उसके पास गया। पहले उसके होंठ पर होंठ रख दिए। हम दोनों करीब 15 मिनट तक ऐसे ही बैठ कर एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे।
अह.. क्या रसीले होंठ थे उसके.. एकदम मुलायम और रस भरे.. मदमस्त चुसाई चल रही थी।

फिर मैंने उसकी गर्दन पर किस किया और धीरे-धीरे उसके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगा। इतने में ही वो तड़प उठी और उसने अपनी ब्रा उतार दी। फिर उसने मेरे मुँह में अपना एक चुची दे दी, मैं उसको रगड़ कर पीने लगा। साथ ही मैं उसकी पेंटी में हाथ घुसा कर चुत में एक उंगली करने लगा।
मेरे ऐसा करते ही वो और भी कामुकता से आहें भरने लगी ‘ऊहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्म्म..’
उसकी मादक सीत्कारें सुनकर मैं और मस्ती से चूत को कुरेदने में लगा रहा। फिर मैंने उसकी पैंटी फाड़ दी और अपना मुँह उसकी चुत पर रख दिया और उसको अन्दर से चाटने लगा।
मेरे ऐसा करने पर वो तड़प उठी और बोली- यार मैं मर जाऊँगी प्लीज़ अब चोद दे प्लीज़ यार आह..
इतना कहते ही करीब दो ही मिनट बाद वो झड़ गई और मैं उसका पूरा पानी पी गया। अब मैं अपने कपड़े उतारने लगा तो उसके मेरा अंडरवियर पकड़ कर मुझे अपने पास खींच लिया। मेरा लंड निकाल कर अपने मुँह में ले लिया और उसको लॉलीपॉप की तरह चाटने लगी और चूसने लगी।
करीब दस मिनट तक वो ऐसे ही करती रही। फिर ऐसा करने के बाद वो बोली- प्लीज़ विराट आज तुम मुझे अपनी बना लो.. हमेशा के लिए.. मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ.. मुझे क्या ऐसे ही तड़पाओगे.. आओ ना.. आज मुझे चोद दो और मुझे अपना बना लो।
मैंने ऐसा ही किया। उसकी चुत पर अपना लंड रखा और ज़ोर से धक्का दे मारा। इस तगड़े झटके से मेरा आधा लंड उसकी चुत में एक ही बार में चला गया। उसकी चीख निकल गई- क्या कर रहा है.. भैनचोद ऐसे तो मेरा पति भी नहीं करता.. आह.. बाहर निकाल अपने लंड को.. मैं मर जाऊँगी प्लीज़ जल्दी से बाहर निकाल।
मैंने उसको कुछ नहीं कहा और न ही उसकी बात पर कोई ध्यान दिया। बस मैं उसके मम्मों को पीने लगा और चुपचाप उसके ऊपर लेट गया।
फिर उसके मुँह से सीत्कारें निकलने लगीं ‘आआ हह.. उहह प्लीज़.. आआह..’
अब मैं धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगा.. लेकिन अभी मेरा आधा लंड ही अन्दर था।
फिर अचानक मैंने जोर से धक्का दिया तो इस बार मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चुत को चीरता हुआ घुस गया।
वो फिर से तड़प उठी और बोली- मुझे नहीं बनाना तुझे अपना खसम.. अआह.. उउह.. मार डाला बस कर..
अब वो मुझे गालियां देने लगी।
मुझे उस पर गुस्सा आ गया, मैंने एक हाथ से उसका मुँह दबाया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। ऐसा करने पर उसका चेहरा लाल पड़ गया और उसकी आँखों से आंसू आ गए।
लेकिन कुछ देर बाद सब शांत हो गया और वो भी अब मुझे अन्दर लेने लगी.. मेरा साथ देने लगी। फिर कभी उसको घोड़ी बना कर चोदता.. तो कभी उसकी एक टाँग अपने कंधे पर रख कर चुत पेलता, उसको मम्मों को और होंठों को बारी-बारी से चूसता हुआ उसको चोदता।
उसको भी मजा आ रहा था।
करीब दस मिनट बाद वो अकड़ गई और झड़ गई.. लेकिन मैं उसे लगातार चोदता रहा.. फिर 5 मिनट बाद मैं भी झड़ गया। मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में अन्दर ही छोड़ दिया।
फिर हम दोनों एक-दूसरे के ऊपर लेट गए। उस दिन मैंने उसकी चूत को 3 बार चोदा और उसकी गांड भी मारी।
बाद में मैं जब जाने लगा तो वो बोली- आज से तुम ही मेरे पति हो और तुम जब कहोगे, मैं तुम्हारे पास आ जाऊँगी।
उसके बाद हम लोग बार-बार मिलने लगे। वो काफ़ी रिच थी इसलिए वो मुझे पैसे भी देती थी।
एक दिन उसके पति को हमारे बारे में पता चल गया और फिर उसकी और मेरी बातें होना और मिलना बंद हो गया। पिछले महीने एक अननोन नम्बर से उसका कॉल आया था।
उसने बताया- तू बाप बन चुका है। मैंने एक लड़के को पैदा किया है.. जो कि तेरा है।
इतना कह कर उसने फोन कट कर दिया। आज भी मैं उसको याद करता हूँ तो मूड खराब हो जाता है।
आपको मेरी हिंदी चुदाई स्टोरी कैसी लगी मुझे ज़रूर बताएं।

सोमवार, 20 नवंबर 2017

गाँव की देसी बहन की देसी चूत चुदाई

मैं अमित हूँ, यह मेरी लाइफ की रियल स्टोरी है. मैं पढ़ाई के लिए बाहर रहता हूँ और मेरा पूरा परिवार गाँव में रहता है. मेरा परिवार एक जॉइंट फॅमिली है इसलिए सभी लोग मेरे चाचा चाची सब साथ ही में रहते हैं.
मैं हर साल गर्मियों की छुट्टियों में घर जाता हूँ.

बात उन दिनों की है जब मैं पिछली बार गर्मी की छुट्टियों में घर गया था.
मेरे चाचा की एक लड़की है मोनिका, करीब 20 साल की होगी, बहुत ही सेक्सी लगने लगी है वो अब… उसका फिगर करीब 32-26-30 का होगा, उसके बूब्स बड़े बड़े हैं.
पहले मेरे मन में उसके बारे में एसा कोई विचार नहीं था लेकिन जब मैं इस बार घर गया तो अब वो बड़ी हो चुकी थी, बहुत ही सेक्सी लगने लगी थी. तो मैंने अपनी चचेरी बहन की चूत चुदाई करने की योजना बनाई.
लेकिन घर पर सब लोग रहते हैं इसलिए कोई काम नहीं बन रहा था. इसलिए मुझे रोज उसे देख कर ही मूठ मारनी पड़ रही थी.

आख़िरकार एक दिन वो मौका आ ही गया जिसका मुझे इंतजार था. उसके मामा के यहाँ शादी थी तो सभी लोगों को वहां जाना था लेकिन मैं और वो नहीं गये, और मेरी बड़ी बहन भी नहीं गई थी, हम तीनों घर पर अकेले थे.
हम सबने खाना खाया और सोने लगे. मेरी दीदी और वो साथ में लेटी थी, मैं भी बगल में ही दूसरे पलंग पर लेटा था. मैं और मोनिका आपस में बात करते रहे. काफ़ी रात हो चुकी थी, दीदी भी सो चुकी थी.
अब वो भी सोने लगी थी लेकिन मुझे कहाँ नींद आने वाली थी, मैं तो बस उसकी जवानी को देख कर लंड हिला रहा था.

फिर मैंने धीरे से उसके ऊपर हाथ रख दिया, वो शायद सो गई थी, मैंने धीरे से हाथ फिराना चालू किया. फिर मैंने उसके बूब्स को धीरे से दबाना चालू किया.
इसके बाद मैं नीचे की ओर बढ़ा और उसकी सलवार पर हाथ फिराने लगा.
यारो, क्या बताऊँ… क्या मज़ा आ रहा था उसकी चूत और गांड को सहलाने में!

इतने में वो जाग गई और कहने लगी- भैया ये क्या कर रहे हो आप?
मैंने उसे समझाया- कुछ नहीं, ये तो बस ज़िंदगी का असली मजा है, बहुत मजा आएगा.

पहले तो वो नहीं मानी फिर मेरे बार बार समझने के बाद वो मान गई.
यह हिंदी देसी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मैं उसे लेकर दूसरे कमरे में गया, मैंने अंदर से दरवाजा बंद किया और उस पर टूट पड़ा. मैंने उसे बेड पर गिराया और उसके होंट चूसने लगा. कुछ देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी.
फिर मैंने उसके बड़े बड़े बूब्स दबाए और उसके कपड़े उतार दिए. अब वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी. उसने सफ़ेद ब्रा और नीली पेंटी पहनी थी… क्या बताऊँ क्या मस्त लग रही थी मेरी बहन बिकिनी में!

अब मैंने उसकी ब्रा पेंटी भी उतार दी और उसके दूध पीने लगा और उसको चूत भी चाटी. अब वो बहुत गर्म हो चुकी थी तो मैंने देर ना करते हुए उसकी टाँगें फैलाई और बीच में आकर अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक ज़ोरदार धक्के से आधा लंड उसकी सील तोड़ता हुआ अंदर चला गया.
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ अब वो रोने लगी थी.
मैंने उसे समझाया- पहली बार में ऐसा होता है.

वो थोड़ी देर में नॉर्मल हुई, तब मैंने झटके देना चालू किया, अब तो वो भी मेरा साथ दे रही थी और गांड उठा उठा कर अपनी चूत चुदाई करवा रही थी.
कुछ देर में हम दोनों झड़ गये, मैं उसकी चूत में ही झड़ गया.

अगले दिन मैंने उसे दवाई लाकर दी, फिर मैंने तो कई बार मैंने अपनी बहन की चूत चुदाई की.
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी कहानी? मुझे मेल करें…
amit.khare69@gmail.com

अब्बू और बुआ की चुदाई की आँखों देखी कहानी

जिंदगी में जैसे खाना, पानी, हवा आदि की जरूरत होती है, वैसे ही और एक चीज है जिसकी हर मर्द या औरत, बूढ़े जवान सबको आवश्यकता कभी न कभी महसूस होती ही है, वो है सेक्स!
सब सेक्स करते हैं, शराब या पैसा.. इनकी तरह ही या इससे भी ज्यादा होता है इसका नशा और यह नशा किसी को भी हो सकता है, औरत को भी!

मेरा नाम ज़ोया है, दिल्ली में रहती हूँ।
हम जब छोटे थे, तभी अब्बू गाँव की जमीन, खेत आदि बेच कर धंधा करने दिल्ली आ गए थे।
दिल्ली में हम एक फ्लैट में रहते हैं।

मेरे परिवार में अब्बू, अम्मी, बुआ, दो भाई और एक बहन है। अम्मी से जमाल मेरा छोटा भाई और मैं… बुआ के दो बच्चे रेहान, और हिना है।
बुआ को उसके पति ने तलाक दे दिया और किसी और से निकाह कर लिया।

सबसे बड़ी हिना है, उससे छोटा जमाल, फिर रेहान और सबसे छोटी मैं… हम सब बचपन से बड़े प्यार से एक साथ मिल कर रहते थे।
मेरे अंदर सेक्स की भूख वैसे बचपन से थी, पता नहीं कब से इसका चस्का लगा।
बचपन में कई बार मैंने अम्मी अब्बू को सेक्स करते हुए छिप छिपकर देखा है। रेहान और मैं हमउम्र ही थे, इसलिए वो भी मेरे साथ ये सब देखता था। हम भी वैसे ही करने की कोशिश करते थे। हमें बहुत मजा आता था।

एक दिन अम्मी को किसी काम से नानी के यहाँ जाना पड़ा, जमाल भी अम्मी के साथ चला गया, मेरे इम्तिहान चल रहे थे इसलिए मैं नहीं गई।
रात को मैं बुआ के साथ सो गई.

रात के एक बजे मैं पानी पीने के लिए उठी तो देखा रेहान और हिना सोए थे पर बुआ नहीं थी. मैंने सोचा बाथरूम वगैरह गई होगी.
मै पानी पीने सीढ़ियों से उतर रही थी, तभी मुझे किसी के कराहने की आवाज आई।

अब्बू का कमरा सीढ़ियों के पास है और उसकी खिड़की सीढ़ियों से लगी है, खिड़की पूरी तरह से बंद नहीं होती थी इसलिए अंदर क्या हो रहा है हम सीढ़ियों पर खड़े रहकर खिड़की की दरार से देख सकते थे।
मैंने खिड़की की दरार से अंदर देखा तो मैं अंदर का नजारा देखकर दंग रह गई.

अंदर अब्बू बुआ की ताबड़तोड़ चुदाई कर रहे थे। अब्बू शरीर से हट्टे कट्टे थे, उनका लंड भी मोटा काला और बहुत लंबा था।
बुआ भी किसी हिरोइन की तरह सेक्सी थी।

दोनों एकदम नंगे थे।
अब्बू जोर जोर से अपना लंड बुआ की चूत के अंदर बाहर कर रहे थे और बड़बड़ा रहे थे- ले रांड ले!! बहुत चुदाई की आग है तेरी चूत में! पड़ोसियों से चुदवाती फिरती है.
ऐसा कहकर अपने मूसल जैसे लंड से बुआ की चूत को तेजी से चोदने लगे।
फिर बुआ को घोड़ी बनाया और पीछे से लंड पेलने लगे, कभी गांड में डालते तो कभी चूत में!

बुआ भी आवाजें निकाल रही थी- आआआ ईईईई ऊऊऊऊ… और तेज़ औऔ औऔइइइ… फाड़ दो मेरी चूत… बना दो इसको भोसड़ा!
कुछ देर तक चोदने के बाद अब्बू ने अपना लंड बुआ के मुंह में देकर मुंह को ही चोदने लगे.

थोड़ी देर में अब्बू ने धक्के तेज कर दिए और बाद में आहहह आहहह करते हुए अपना सारा माल बुआ के बूब्स और पेट पर डाल दिया।
फिर बुआ ने अब्बू का लंड चाटकर साफ किया और लंड पर लगा वीर्य पी लिया और नंगी ही अब्बू के पेट पर सिर रखकर लंड से खेलने लगी और अब्बू बुआ के बूब्स खेलने लगे.
बुआ ने पूछा- भाईजान, आपको कैसे पता चला कि मैं पड़ोसियों से चुदती हूँ?
अब्बू बोले- मैंने तुझे पड़ोस के विकास के साथ उसकी छत पर देखा था, तुम लोग दीवार के पीछे खड़े थे, वो तेरी चूत में उंगली कर रहा था और तू उसका लंड पकड़ कर हिला रही थी. उसने तुझे वहाँ खड़े खड़े ही चोदा था. जब तू कल कपड़े सुखाने के बहाने टेरेस पर गई थी तो तेरे पीछे मैंने उसको भी जाते देखा, मुझे शक हुआ तो मैं भी तुम लोगों के पीछे आ गया था और मैंने छत के बरामदे में तुम लोगों को चुदाई करते देख लिया था.
अब्बू बोले- जब से तू बड़ी हुई है, तेरे उभार बड़े हुए हैं, तब से तेरे लिए मेरी फीलिंग बदल गई थी और बस इसी बात का इंतजार करता था कि कब तेरी मुलायम चूत मारने का मौका मिले। वो मौका मुझे तेरी चुदाई देखकर मिल गया!
बुआ बोली- मेरे प्यारे भाईजान को मेरी चूत चाहिए थी तो पहले कह देते… मैं लंड के लिए दूसरों के पास क्यों जाती।
यह कहकर अब्बू का लंड चूसने लगी और फिर चुदाई का एक और घमासान दौर चला।

इस बार अब्बू ने पूरा पानी बुआ के मुंह में भर दिया, बुआ गट गट करके सारा वीर्य पी गई.
और फिर बुआ ने कपड़े पहने और बाहर आने लगी.
उनके आने से पहले मैं सीढियों से अपने रूम में आकर सोने की एक्टिंग करने लगी. बुआ भी रूम में आकर सो गई।
यह मेरी पहली सच्ची कहानी है, लिखने में गलती हुई हो तो माफ करना और मेरी दूसरी चुदाई की दास्तान का इंतजार कीजिए।

गुरुवार, 16 नवंबर 2017

दुखी टीचर को माँ बनाया



दोस्तों मेरा नाम संदीप हे और मैं एक गिगोलो हूँ. मैं लोगो को चुदाई का मज़ा दे के पैसे कमाता हूँ. एक दिन मुझे एक मेल आई. वो किसी प्रदीप नाम के बन्दे की थी. उसने मुझे लिखा था की उसे मेरी हेल्प चाहिए थी. मैंने अपना नम्बर दिया तो उसने मुझे कॉल किया. और उसने अपनी प्रॉब्लम मुझे बताई. प्रदीप गवर्नमेंट जॉब करता था. और उसकी वाइफ भी गवर्नमेंट टीचर थी. वो दोनों की शादी को पांच साल हो गए थे लेकिन अभी तक बच्चा नहीं हुआ था.
उनको एक बेबी चाहिए था. डॉक्टर के पास टेस्ट करवाए तो पता चला की प्रदीप के अन्दर ही कुछ फोल्ट थी और वो कभी भी बच्चा नहीं पैदा कर सकता था. प्रदीप ने मुझे कहा की तूम मेरी हेल्प करो और मुझे एक बच्चा पैदा करने में हेल्प करो. मैंने कहा, आप घबराओ मत मैं आप की हेल्प कर दूंगा.
प्रदीप ने मुझे अपना एड्रेस दिया और 10 दिन के बाद घर आने को बोला.
10 दिन के बाद मैं उनके घर पहुँच गया. वो लोग चंडीगढ़ में रहते हे. मैं शाम को 5 बजे उनके घर पहुँच गया. मैंने डोरबेल बजाई. डोर उसकी वाइफ ने ही खोली.  मैं उसको देखते ही दंग रह गया. वो बहोत ही खुबसूरत थी. उसका फिगर 34 28 36 था. मैं उन्हें देखता ही रह गया. उन्होंने मुझे इशारे से अन्दर आने के लिए कहा.. मैंने अन्दर जा के देखा तो घर बहुत बड़ा था.
थोड़ी देर बाद में उनका पति भी आ गया. जब तक वो भी पानी लाकर आ गई. हम तीनो सोडे पर बैठ गए. उसके पति ने अपनी पत्नी से मेरा इंट्रो करवाया. भाभी का नाम नीलम था. शाम के करीब 9 बजे हमने खाना खा लिया.
उसके बाद प्रदीप मुझे ले के अपने बेद्रूम्म में गया. पीछे पीछे नीलम भाभी भी आ गई. प्रदीप नीलम भाभी को वहीँ पर मेरे पास छोड़ के दुसरे कमरे में सोने के लिए चला गया. नीलम ने दरवाजा बंद कर दिया और वो शरमाते हुए वही पर खड़ी हो गई. मैं उसके पास गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया. मेरे को पता था की जो भी करना हे वो मुझे ही करना हे. वो थोडा शर्मा रही थी. मैंने उसके पास जा के उसे किस करना चालू कर दिया. अब वो भी थोड़ी थोड़ी खुलने लगी थी. मैंने उसको गोदी में उठाया और उसे बेड के पास ले गया. वो थोड़ी नार्मल हो गई थी. मैंने उसके गले के ऊपर किस कर लिया. और किस करते करते ही मैं उसके बूब्स को भी दबाने लगा. नीलम भाभी को भी बड़ा मज़ा आ रहा था मेरी इन हरकतों से.
उसने उस वक्त नाइटी पहनी हुई थी. मैंने धीरे धीरे उसकी नाइटी उतार दी. अब वो सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी. मैं उसके शोल्डर पर किस करने लगा. और फिर मैं निचे की तरफ बढ़ने लगा. और अब मैंने उसकी कमर के ऊपर किस कर दी. मैंने धीरे से ब्रा को खोल दी. मैंने भी अपने कपडे खोल दिए और मैं अब सिर्फ अंडरवेर में था. मैं उसके बूब्स को मसलता गया और वो सिसकियों पर सिसकियाँ लेती गई. फिर मैंने उसके पेट के ऊपर भी किस कर ली. उसकी नाभि के ऊपर किस किया और फिरधीरे से मैंने उसकी पेंटी उतार दी. नीलम ने अब मेरे अंडरवेर उतार दी. अब हम दोनों पूरी तरह नंगे हो गए थे. उसने मेरा लंड देखते हुए स्माइल दी और बोली, आप का तो बहुत बड़ा हे. मैंने अपना लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया. वो भी प्यार से हाथ फिराने लगी. मेरा लंड पूरी मस्ती में था. उसने धीरे से लंड के सुपाडे के ऊपर किस कर दिया. उसके बाद हम दोनों 69 पोज़िसन में आ गए. वो मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूस रही थी. मैं भी उसकी क्लीन शेव्ड चूत को चाट चाट के पूरा मज़ा ले रहा था.
वो थोड़ी देर में ही झड़ गई. उसने मुझे बताया की उसका पति कभी उसकी चूत को चाटता नहीं हे. फिर मैंने उसके बूब्स को वापस अपने मुहं में भर लिया और चूसने लगा. वो थोड़ी देर में वापस से हॉट हो गई. मैंने एक ऊँगली नीलम भाभी की चूत के दाने पर रख दी. और मैं ऊँगली को एकदम प्यार से उसके चूत के दाने पर घिसने लगा. वो पूरी तरह से हॉट हो गई थी. वो बोली, अब मुझे जल्दी से चोदो इतना भी मत तडपाओ.
मैंने भी उसकी हालत को देखा तो सोचा की अब लंड डालने लायक हो गई हे वो. मैंने उसकी दोनों टांगो को खोला और लंड को उसकी चूत पर रख दिया. एक जोर का झटका दे के मैंने आधा लंड उसके अन्दर डाला. उसके मुहं से चीख निकल गई. मैंने उसके होंठो के साथ अपने होंठो को लगा दिया और किस करने लगा. वो थोड़ी नार्मल हुई और फिर मैंने एक बार फिर से झटका मारा. अब मेरा लंड पूरा उसकी चूत में था.
अब उसको भी पूरा मजा आने लगा था. वो भी मेरे झटको का जवाब अपने चूतड को उठा उठा के देने लगी थी. इसी तरह से पुरे 40-45 मिनिट तक नीलम भाभी को चोदता गया.
अब तक वो तिन बार झड़ गई थी. अब वो आह आह करने लगी थी. और मैं उसे किस करते हुए जोर जोर से चोदता गया. और फिर मैंने नीलम भाभी को कुतिया बना दिया और पीछे से उसे डौगी स्टाइल में चोदना चालू कर दिया. मैंने पीछे से उसकी गांड को पकड़ के उसकी चूत को चोदने लगा.
वो भी मेरे झटको के जवाब में अपने बदन को हिला रही थी. और फिर कुछ ही देर में मेरे लंड से एकदम गाढ़ा वीर्य निकल के उसकी चूत में टपक गया. मैंने कुछ देर तक अपने लंड को ऐसे अन्दर ही रहने दिया ताकि प्रेग्नन्सी के चांसिस बढ़ जाए. नीलम भाभी भी अपनी गांड एकदम स्टॉप कर के रुकी हुई थी. मैंने लंड निकाला ही नहीं. वो अपनेआप ही सिकुड़ के चूत से बहार आ गया.
हमने कपडे पहन लिए. फिर प्रदीप के पास चली गई नीलम भाभी. प्रदीप ने आके मुझे थेंक्स कहा और मुझे पैसे देने लगा. मैंने कहा पैसे तब देना जब खुशखबरी सुनाओ. वो मुझे गले लगा के रो पड़ा. दुसरे दिन सूबह मैं उनके घर से निकल भी गया.
अगले महीने प्रदीप का कॉल आया मुझे और उसने कहा नीलम ने अपनी प्रेग्नंसी चेक की और पोजिटिव रिजल्ट आया हे. वो ये कहते हुए बड़ा खुश लग रहा था!

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