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शुक्रवार, 24 नवंबर 2017

लड़की की वर्जिन गांड चोदने का मजा

हाई दोस्तों मेरा नाम सारिक हे और मैं दिल्ली से हूँ. मेरी हाईट 5 फिट 8 इंच हे और मैं गोरा हूँ. मैं स्मार्ट हूँ और मेरे लोडे का साइज़ 8 इंच हे. ये कहानी आज से 8 महीने पहले की हे और तब दिल्ली में एकदम कडाके की ठंडी पड़ रही थी. एक दिन मैंने एक नयी लड़की को अपनी जिम में देखा और वही इस कहानी की हिरोइन हे.
उसने तब ब्लेक टाईट टॉप और लेगिंग पहनी हुई थी. और इस कपड़ो में उसके बदन के कर्व्स आराम से दिख रहे थे. उसके बूब्स एकदम बड़े 34D साइज़ के और उसकी गांड की साइज़ 36 इंच की थी. उसके बूब्स और गांड को देख के मेरा लंड तो जैसे सलामी दे रहा था. मेरी फिजिक भी सही हे और काफी लोग मेरे से टिप्स भी मांगते हे.
और फिर एक दिन जैसे चमत्कार हो गया. वो सामने से ही मेरे पास मुझे मिलने के लिए आई. मैं ट्रेनर हूँ और उसे हिप्स की एक्सरसाइज में मेरी मदद चाहिए थी. उसने अपनानाम बताया और हाथ लम्बा किया. मैंने हेंड शेक कर लिया. उसका नाम याशिका था.
मैं उसे हेल्प करने लगा एक्सरसाइज में. और उसे सिखाते हुए मैं उसके बदन को जानबूझ के अपने लंड से टच भी करवा रहा था. अपनी गांड के ऊपर मेरा लंड उसको भी फिल हो रहा था. और शायद उसको उसमे मजा भी आ रहा था.
कुछ ही दिनों में हम अछ्छे दोस्त भी बन गए. और फिर हम बहार भी मिलने लगे. एक दिन हम साथ में थे और अचानक से बिन मौसम का बरसात आ गया. मैंने उसको कहा की चलो मैं तुम्हे घर छोड़ दूँ वरना तुम बरसात में फंसी रहोगी.
मैंने अपनी बाईक के ऊपर उसे उसके घर पर छोड़ा. हम दोनों पुरे भीग चुके थे. और उसने मुझे अपने घर पर रुकने के लिए कहा. मैं अपनी जींस और टी शर्ट निकाली और सोफे के ऊपर बैठ गया.
कुछ देर में जब वो वपास आई तो उसने एक नाईट गाउन पहना हुआ था और उसके हाथ में कोफ़ी थी. उसे ऐसे देख के मेरी अंडरवेर के अन्दर तम्बू बन चूका था. और उसने वहां देखा और स्माइल देने लगी. हम कोफ़ी पीते हुए चिटचैट करने लगे.
फिर मैंने उसको कहा की मैंने तुम्हारे जैसा सेक्सी पहले कभी नहीं देखा. मैंने उसे कहा की तुम सच में बड़ी अमेजिंग लगती हो. उसने कहा सच में? मेरे में ऐसा क्या अमेजिंग हे? मैंने भी एकदम बिंदास्त कहा की तुम्हारे बूब्स!
उसने स्माइल दी और कहा सच में? मैंने कहा हां. उसने फिर कहा तुमको देखने हे? मैं तो सच में उसी मोमेंट के आने की वेट में था. उसके मुहं से सुनते ही मैंने उसे अपनी तरफ खिंच लिया. मैंने उसके बूब्स को गाउन से बहार निकाला. वो एकदम गोरा और सॉफ्ट था. मैंने उसे धीरे से दबाना चालू कर दिया. मैंने उसे कहा, तुम्हारे पास सच में सेक्सी और हॉट बूब्स हे. वो हंस पड़ी.
मैं उसके निपल्स को लिक करने लगा और वो मोअन कर रही थी. मैं बूब्स को लिक्क और बाईट कर रहा था और दुसरे हाथ से मैं बूब्स को दबा रहा था.
करीब 10 मिनिट के बाद मेरी नजर उसके ज्युसी लिप्स के ऊपर पड़ी. मैंने उसके लिप्स को चूसा और वो भी मुझे सपोर्ट कर रही थी. मैंने अब उसका नाईटगाउन पूरा उतार दिया. और उसने अंदर पेंटी नहीं पहनी हुई थी. मैं उसके लिप्स को चूस रहा था और धीरे से मेरी उंगलिया उसकी चूत की तरफ चल पड़ी.
मेरे सेडयूज करने की वजह से उसकी चूत एकदम गीली हो चुकी थी. मैंने धीरे से ऊँगली को उसकी चूत पर दबा के जी स्पॉट के ऊपर लगा दिया. चूत का ये हिस्सा एकदम हॉट होता हे जहाँ पर टच करने से भी औरत एकदम चुदासी हो जाती हे.
मैंने उसे सोफे के ऊपर लिटाते हुए उसको किस किया. और अब वो अपनी चूत को एकदम बेताबी से मेरे लंड के ऊपर घिस रही थी. और जब उस से कंट्रोल नहीं हुआ तो उसने मेरे लंड को हाथ से पकड़ लिया और मुझे चूत को चोदने के लिए कहा.
वो पहले से मेरे ऊपर थी. मैंने उसको कमर से पकड़ा और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया. एक ही पावरफुल झटके में मैंने अपने लंड को उसकी चूत में डाल दिया और उसके मुहं से जोर की चीख निकल गई. और मैं एक के बाद एक झटके देने लगा चूत के अन्दर.
और दो मिनिट की चुदाई के अन्दर ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. लेकिन मैं उसे चोदता रहा. मेरे लंड के निचे के बॉल्स उसकी चूत से टकरा रहे थे और उसे बड़ा मज़ा आ रहा था. और जब भी बॉल्स उसकी चूत से टकराते थे तो वो एकदम जोर जोर से कराह रही थी. वो मोअन करते हुए मुझे चोदने के लिए मिन्नते कर रही थी.
20 मिनिट की हार चुदाई के बाद उसने मुझे एकदम टाईट पकड़ लिया. मैं समझ गया की वो फिर से झड़ने वाली थी. इसलिए मैंने एकदम पॉवरफुल झटके देने चालु कर दिए और उसने अपना पानी छोड़ दिया. वो थक चुकी थी लेकिन मेरा पानी अभी नहीं निकला था. मई उसे और चोदना चाहता था लेकिन उसके पहले मैंने उसकी चूत के रस चाटने को सोचा.
मैंने अपनी जबान को उसकी चूत के ऊपर लगा दिया और उसके रसों को चाटने लगा जो बहार आ रहे थे. उसकी चूत के साथ साथ मैंने उसकी गांड भी चाट ली. और तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया. मैंने सोचा की इसकी चूत इतनी सेक्सी हे तो गांड मारने में कितनी मजा आएगी. मैंने हौले से अपनी एक ऊँगली को उसकी गांड के होल में डाला. उसकी गांड वर्जीन होने की वजह से एकदम टाईट थी.
वो गांड में ऊँगली करने की वजह से एकदम चौंक गई और बोली प्लीज ऊंगली निकालो. उसने पहले पीछे नहीं किया था इसलिए उसे दर्द का डर लग रहा था. लेकिन मैं उसे छोड़ने के मूड में नहीं था. मैंने उसे 2 मिनिट तक किस किया और फिर उसको मेरे ऊपर भरोसा करने के लिए कहा. मैंने वेसेलिन लिया और उसकी गांड के ऊपर मसाज करने लगा. मैंने थोडा वेसेलिन उसकी गांड में भी डाला. और मैंने याशिका को अपने लंड चूसने के लिए कहा. वो लंड चूसने की एक्सपर्ट थी जो मजे से लंड को चूस रही थी. मैंने उसके साथ 69 पोजीशन बना ली. वो मेरे लंड को चूस रही थी और मैं उसकी चूत को चाट रहा था.
उसने गले तक लंड को भर के ऐसे चुस्से लगाये की मैं जैसे पागल हो रहा था. पहले मेरे लंड को ऐसे कभी नहीं चूसा था. कुछ मिनिट के बाद मैंने पोजीशन बनाई. वो गांड में लेने के ख़याल से डर सी रही थी. मैंने उसकी कमर को पकड़ा और उसकी टांगो को अपनी कमर के दोनों तरफ लगा दिया. और फिर मैंने हलके से अपने लंड को उसकी गांड में डाल दिया. एक धक्के में 2 इंच जितना लंड घुस गया और वो अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह कर के कराह उठी.
मैंने और धक्का लगा के 3 इंच से ज्यादा लंड को अन्दर कर दिया और वो मुझे निकालने के लिए रिक्वेस्ट कर रही थी. मैंने एक पॉवरफुल स्ट्रोक लगाया और मेरा पूरा लंड उसकी गांड में था. उसको बहुत दर्द हो रहा था. उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे. मैंने उसके लिप्स को अपने लिप्स से लगाए और चूसने लगा. और अपने हाथ से मैं उसके बूब्स को मसल रहा था. मैं धीरे धीरे से धक्के दे रहा था और वो जोर जोर से मोअन कर रही थी.
लेकिन अब वो मुझे सपोर्ट कर रही थी और मैं उसकी गांड को खंगाल रहा था. वो अपनी गांड को जोर जोर से हिला रही थी. अब उसे दर्द नहीं हो रहा था. हम दोनों चुदाई की आवाजें निकाल रहे थे जो कमरे में गूंज रही थी. वो कह रही थी, अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह फक मी अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह!
मेरे लंड का पानी याशिका की गांड में ही निकल गया. उसने मुझे बताया की उसकी लाइफ का वो सब से अच्छा सेक्स सेशन था.

मंजू का पालतू कुत्ता बन के उसका पेशाब पी लिया

दोस्तों ये कहानी मेरी लाइफ की रियल घटना हे. इसमें मैं आप को बता रहा हूँ की कैसे एक मिडल एज लेडी ने कैसे मुझे डोमिनेट कर के चुदवाया था. मैं 29 साल का हूँ और इस चुदाई से पहले तक वर्जिन था. मेरा वेट 70 किलो हे और मेरे लंड की लम्बाई साड़े पांच इंच हे. मैं बंगलौर में काम करता हूँ एक बेंक में. मुझे अच्छा लगता हे जब कोई औरत मुझे डोमिनेट करें, यु कहें की यही मेरी फेंटसी थी. अपनी जवानी के दिनों से ही मैं मच्योर लेडिज जैसे की भाभियों और आंटियों के प्रति आकर्षित था.
ये मेरा अनुभव एक बस की जर्नी से चालु हुआ था. मैं बंगलौर से हैदराबाद जा रहा था. मैंने मजेस्टीक से वोल्वो बस में बुकिंग करवाया हुआ था. और अगले पिकअप से एक लेडी बस में चढ़ी और मेरी बगल की सिट में बैठ गई. उसने चूड़ीदार पहना हुआ था. वो अपनी तीसी में थी और उसका फिगर करीब 36 30 36 का था. और देखने में वो थोड़ी सांवली सी थी. उसके बाल लम्बे और घुंघराले थे.
जब बस चली तो उसका हाथ मेरी तरफ आ गया और मेरे शैतानी दिमाग में गंदे ख़याल आने लगे. मैं सोच रहा था की कैसे बात चालू करूँ उसके साथ. मैंने इस लेडी को उसका नाम वगेराह पूछा. उसने जवाब दिया और फिर से चूप हो गई. उसका नाम मंजू था और वो एक एमएनसी में फ्रंट डेस्क पर काम करती थी. वो अपने पति से मिलने के लिए हैदराबाद जा रही थी और उसके अभी बच्चे नहीं थे.
इसी बिच हमारे हाथ एक दुसरे से टच होते रहे. और मुझे इस वजह से बड़ा मजा आने लगा था. मैं बार बार हाथ को उसकी बॉडी से टच कराता रहता था. मेरा लंड भी जाग चूका था. और फिर कुछ देर में उसे नींद आई और वो मेरे कंधे के ऊपर सो गई. मैंने भी सही मौका देखा और कुछ देर में मैं भी उसके ऊपर ही सो गया. साला पूरी रात मेरी हिम्मत ही नहीं हुई और नींद भी आ गई इसलिए कुछ कर नहीं सका. कुछ ही देर में बस मंजिल को पहुंचनी थी तब हम दोनों ने अपने नम्बर्स एक्चेंज कर लिए.
मुझे हैदराबाद में दो दिन का काम था उसके बाद में मैं वापस बंगलौर आ गया. मुझे याद था की मंजू मेरे आने के दो दिन के बाद आनेवाली थी. मैंने दो दिन के बाद लेट इवनिंग में उसे व्हाट्सएप्प मेसेज किया.
और तुरंत उसका जवाब भी आ गया. वो व्हाट्सएप्प पर लम्बी लम्बी बातें कर रही थी. कुछ समय पर्सनल चीजे और क्या करते हो कहा रहते हो चला. वो बातचीत से थोड़ी घमंडी और कंट्रोल वाली लग रही थी. जो की मुझे अच्छा भी लगा. फिर हमारी बातें सेक्स के टोपिक के ऊपर भी होने लगी. मंजू ने कहा की वो टॉर्चर वाला सेक्स पसंद करती हे और उसका हसबंड वो सब करता नहीं हे इसलिए वो प्यासी रह जाती हे.
उसने मेरी सेक्स लाइफ के बारे में पूछा और मैंने कहा की मुझे सेक्स करने का चांस ही नहीं मिला हे. वो हंस पड़ी और उसने मेरी सेक्स रिलेटेड फेंटसी के बारे में पूछा.
मैं: मैं लड़की के हाथ का खिलौना बनना चाहता हूँ.
वो हंस पड़ी और बोली, गुड.
मैं: मैं चाहता हूँ की सेक्स में लड़कियां मुझे मारे और पेन दे सेक्स के अंदर.
मंजू: अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे दर्द दे सकती हूँ.
और ये कह के वो हंस पड़ी.
मैं: अच्छी बात हे ना!
उसने कहा: वैसे तुम्हे ये सब आइडिया कहाँ से आता हे.
मैंने कहा: पोर्न के विडियोस देख के. और ये कह के मैंने उसे व्हाट्सएप्प के ऊपर लिंक भेज दी एक bdsm वीडियो की. उस वीडियो में एक लड़का एक लड़की को मार मार के उसके साथ सेक्स का रहा था.
अगले दिन उसने कहा वो वीडियो मस्त था और वो खुद भी ऐसे ही अपने हसबंड को मार मार के उसका लंड लेना चाहती हे. मैं हंस पड़ा और उसे कहा की तुम अपने हसबंड को ऐसे टॉर्चर कर ही नहीं सकती. लेकिन अगर तुम मुझे टॉर्चर करना चाहो तो मैं भी एन्जॉय कर लूँगा.
वो: अगर तुम मेरे हसबंड होते तो मैं तुम्हे टॉर्चर करता.
मैं: तो फिर सोच लो की मैं तुम्हारा हसबंड हूँ.
वो हंस के बोली: ठीक हे!
और फिर कुछ देर दिनों तक हम दोनों व्हाट्सएप्प के ऊपर यही रोल-प्ले करते रहे. वो मेरी बीवी थी जो मेरे हर सेक्सुअल एक्ट में मुझे अपना गुलाम बनाती थी और मेरे ऊपर डोमिनेट करती थी. वो मुझे गन्दी गन्दी गालियाँ देती थी. वो मेरे लंड के ऊपर भी सवाल करती थी.
ऐसे करते हुए दो महीने बिट गए. वो अपने हसबंड को इसके बिच में तिन बार मिल के आई. फिर हम दोनों ने एक संडे को मिलने का प्लान बनाया. उसने टॉप और ब्ल्यू डेनिम की जींस पहनी हुई थी. उस दिन बस में मिली थी उस से काफी अलग ही लग रही थी मंजू आज तो. हमने ऑलमोस्ट दो घंटे तक एक केफेटेरिया में बातें की.
और फिर वो अपने घर चली गई. उसी शाम को उसका मेसेज आया की वो जो हम रोल-प्ले में करते थे वो रियल में करना चाहती हे. मैंने एक पल भी सोचे बिना उसको हाँ कर दिया. और फिर अगले संडे को मैंने एक होटल बुक करने को कहा. तो उसने कहा नहीं तुम कल के दिन में ही होटल बुक करो हो सके तो अपनी ऑफिस से छुट्टी ले लो.
मैंने एक 4 स्टार होटल में कमरा बुक कर लिया. और वो 10 बजे शार्प आ भी गई. उसने लो नेक ब्लाउज पहना था और उपर एक सेमी-ट्रांसपरेंट साडी पहनी हुई थी उसने. वो बोली देखो मैं तुम्हे मारूंगी, कुटुन्गी लेकिन तुम मुझे मेम ही कहोगे, मंजू नहीं. मैंने कहा ठीक हे.
वो बोली, चलो अपने कपडे खोलो और पेंटी में आ जाओ.
मैं अपनी जोकि के सिवा बाकी के सभी कपडे निकाल दिए. उसने मुझे कहा की उलटे हो जाओ. मेरे उलटे होते ही वो मेरी गांड के ऊपर एक चमड़े के बेल्ट से जोर जोर से मारने लगी. मैं दर्द की वजह से मोअन कर रहा था.
मंजू: साले कुत्ते मोअन करना बंद कर हरामी.
मैं: मेम बहुत पेन हो रहा हे मुझे.
मंजू: साले तू मेरा गुलाम हे और अगर तूने अब मोअन किया तो अपनी पेंटी मैं तेरे मुहं में ठूंस दूंगी.
मैं: मेडम आप की पेंटी तो मैं वैसे भी अपने मुहं में लेना चाहता हूँ. और मुहं में देने से पहले प्लीज़ अपनी पेंटी में थोडा पेशाब कर देना.
वो एक्साइट हो गई और उठ के बाथरूम में चली गई. जब वो वापस आई तो उसके हाथ में पेंटी थी जो पेशाब से भरी हुई थी. और आते ही उसने वो पेंटी को मेरे मुहं में डाल दिया. उसका पेशाब मेरे चहरे पर और मुहं में चला गया. फिर उसने मुझे कहा की बिस्तर में लेट जाओ तुम. और फिर से वो मेरी गांड के ऊपर चमड़े के बेल्ट से मारने लगी. इस चाबुक जैसे प्रहारों से मेरी गांड वाला हिस्सा एकदम लाल हो चूका था और मुझे दर्द भी हो रहा थे. पेंटी मुहं में होने की वजह से मेरी मोअन बहार नहीं आ रहा था. मैंने उसकी पेंटी को काटा और उसके पेशाब को पिने लगा.
एक झटके से अपनी पेशाब वाली पेंटी मेरे मुहं से निकाल ली. फिर उसने मुझे अपनी पाँव की ऊँगली मुहं में देते हुए कहा, ले मेरे कुत्ते चाट मेरी पाँव की ऊँगली को और फिर वो मेरे बाल पकड़ के एक एक कर के सब उंगलियाँ चटवाने लगी. फिर वो बोली चल अब खड़ा हो और मेरी गांड को चाट साले कुत्ते.
मैने कहा, हां मेम.
फिर मैं साडी के ऊपर से ही उसकी गांड को चाटने लगा. वाऊ क्या मजा आ रहा था मंजू की बड़ी गांड को चाटने में, प्लीजर मिल रहा था मुझे.
फिर वो बोली जाओ बाथरूम में चले जाओ मैं कुछ ऑर्डर करती हूँ. उसने बेल्ट को मेरे गले में अपने पालतू कुत्ते के जैसे लटका दिया. फिर उसने कोफ़ी मंगवाई एक ही कप. उसने कोफ़ी के कप में दो सिप बचाए और फिर उसके अंदर थूंक दिया. फिर अपनी चूत में से पेशाब की कुछ बुँदे भी उसमे निकाली और मुझे दे दी और बोली, मेडम ने स्पेशियल कोफ़ी बनाई हे पी जाओ.
मैं उस कोफ़ी को पी गया. फिर उसने बहुत बार मेरे चहरे के ऊपर थूंक दिया.
फिर मैं उसे ले के बाथरूम में गया और मैंने उसे साडी खोलने के लिए विनंती की. उसने अपना पल्लू हटाया और उसके बड़े बूब्स ब्लाउज में दिखे. मैंने उसके बूब्स पकडे तो उसने मुझे कस के ऐसा तमाचा मारा की मुझे दिन में भी तारे दिख गए. वो बोली, साले कुत्ते मैं कहूँ ना तब तक कुछ नहीं करेगा तू. मैंने कहा सोरी मेम. उसने फिर एक तमाचा मारा और बोली, चल अब अपनी चड्डी खोल दे.
मैंने चड्डी खोल के पूरा नंगा खड़ा था उसके सामने. उसने बोला, अब बोल क्या चाहिए तुझे?
मैंने कहा मेम मुझे आप का पेशाब पीना हे. बहुत प्यास लगी हे मुझे.
उसने अपना पेटीकोट और ब्लाउज निकाला और टॉयलेट की सिट के ऊपर बैठ गई. उसकी ब्रा अभी भी बूब्स के ऊपर थी. उसने मुझे अपनी चूत के पास बुलाया. और उसने कहा, प्यासे हो?. मैंने कहा हां मेडम और ये कह के मैं अपनी जबान को उसकी चूत पर लगा दिया. उसकी चूत से पेशाब की धार निकल पड़ी और इम्रे पुरे बदन को गन्दा करने लगी. उसने कहा साले मुहं खोल हरामी और सब पी जा. मैंने मुहं खोला और उसने धार को मेरे मुहं में ही मारा. उसने मेरे बाल पकडे और अपनी चूत को मेरे मुहं पर घिस के सब पेशाब पिला दिया मुझे. उसका पेशाब एकदम खारा और स्वादिष्ट था.
फिर उसने अपनी चूत के ऊपर थूंक दिया और बोली चाट इसको. मैं 30 मिनिट तक उसकी चूत को चुस्त रहा और उसके बिच में वो दो बार झड़ गई थी. उसने मुझे अपना सब चूतरस भी पिला दिया.
फिर उसने मुझे कहा की चल अब मेरी निपल्स को प्यार कर. और मैंने ऐसे ही किया. वो बोली ला अब मैं तेरी निपल्स को प्यार देती हूँ. लेकिन वो प्यार नहीं पेन दे रही थी. अपनी दो ऊँगली में ऐसे दबा रही थी की मेरी निपल एकदम ही सूज गई. उसे ये सब देख के बहुत मजा आया.
फिर उसने मेरा लंड पकड़ के कहा, मुहं में ले लूँ?
मैंने कहा, प्लीज़ मेम.
उसने लंड मुहं में ले के चूसा और हिलाने लगी. वो अन्डो को ऐसे मरोड़ रही थी की उन्हें तोड़ के खाने हो. और मेरे लंड के ऊपर अपने दांत गड़ा के वो पेन दे रही थी मुझे.
कुछ देर लंड सक करने के बाद वो टॉयलेट की सिट पर घोड़ी बनी और बोली, चल अब चोद ले अपनी मेडम की चूत को!
मैंने जल्दी से अपने लंड को उसकी चूत में डाला और चोदने लगा. वो अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह करते हुए गांड हिलाती गई और मैं उसको चोदता रहा. मेरा पानी उसकी चूत में निकाला और फिर वो बोली, चल अब मुहं खोल के निचे लेट जा.
उसने फिर से पेशाब किया मेरे मुहं में और अब उसके साथ मेरे अपने वीर्य के लम्प्स भी साथ में आ रहे थे….!

रेगिस्तान में रंगीन हुई एक रात

मेरा नाम सूरज है, मैं राजस्थान में एक छोटे से गांव का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 21 साल की है, कद 5 फीट 9 इंच का है। मैं शहर में नौकरी करता हूँ, इस कारण गांव में एकाध महीना ही गुजार पाता हूं।
मेरी कहानी या यूं कहें कि जो हकीकत में मेरे साथ हुआ.. वो मैंने कभी सोचा तक नहीं था।
तो बिना आप सब का वक्त गंवाए शुरू करता हूँ कि आखिर ऐसा क्या हुआ मेरे साथ और किस प्रकार मैंने एक रेगिस्तानी इलाके में एक अनजान लड़की के साथ एक रंगीन रात गुजारी।
 
एक बार मैं और मेरा दोस्त विकास बाईक से किसी काम के सिलसिले में हमारे गांव से करीब 70 किलोमिटर दूर गए थे.. जून महीने की शुरुआत में गर्मियों वाले दिन थे।
हम दोनों काम निपटा कर जब लौटने लगे.. तब शाम के 6:30 बज चुके थे। अभी कुछ किलोमीटर ही चले होंगे कि अचानक बाईक का पिछला टायर पंचर हो गया। रेगिस्तानी एरिया था.. दूर-दूर तक कोई गांव या पंचर की दुकान नजदीक नहीं दिख रही थी।
अब मैं और विकास पैदल बाईक को खींचते-खींचते करीब दो किलोमीटर चले होंगे कि रात हो चुकी थी.. हम दोनों बाइक खींचते-खींचते थक चुके थे। तभी पास में एक कच्चा घर दिखाई दिया, तो उसे देख कर थोड़ी राहत मिली। हम दोनों ने तय किया कि आज रात यहीं रूक जाएंगे।
सो साहब चल दिए उस घर की ओर.. वहाँ जाकर बाईक को साइड में खड़ा किया और देखा तो सामने से एक बुजुर्ग व्यक्ति, जो करीब 55 साल के रहे होंगे, वो हमारे पास आए और बोले- पधारो सा.. खम्मा घणी सा..
हमने भी हाथ जोड़कर ‘खम्मा घणी..’ बोला.. उन्होंने हम से कुछ भी नहीं पूछा और दो खटिया लगा दीं.. उस पर हम दोनों बैठ गए।
फिर उन्होंने हालचाल पूछा और इधर-उधर की बातें की।
कुछ देर बाद खाना खाने के लिए उन्होंने हम दोनों को घर के आंगन में बुलाया।
हम दोनों वहाँ आ गए.. उधर चटाई बिछाई हुई थी.. उस पर जाकर बैठ गए।
गांव था.. तो घर में लाईट तो थी ही नहीं.. बस एक लालटेन जल रही थी।
हम में से कोई भी किसी का चेहरा उस रोशनी में साफ नहीं देख सकता था। वहाँ लालटेन की रोशनी में उस परिवार में कुल पाँच सदस्य दिखाई दे रहे थे। दो वो पति-पत्नी और दो लड़कियां थीं, शायद उनकी बेटियां रही होंगी.. और एक शादीशुदा स्त्री थी जो घूंघट में थी। वो पता नहीं बेटी थी या उनकी बहू थी। क्योंकि हम अन्जान थे उस गांव में तो हमने उनसे उनके परिवार के बारे में ज्यादा सवाल भी नहीं किए।
खैर.. खाना परोसा गया, मैं और विकास एक साथ ही थाली में खाने के लिए बैठे थे।
जल्दी ही हमारा पेट भर गया हम थाली धोने को लेकर उठने ही वाले थे कि अचानक एक लड़की, जिसकी उम्र कमसिन रही होगी.. वो हाथ में तीन चार रोटी लेकर आई और एकदम से हमारी थाली में डालते हुए बोली- जीजा सा, इतनी जल्दी भी क्या है, पेट भर गया क्या? दोनों साथ में बैठे हो.. आराम से पेट भर के खाइए.. आप शादी के बाद पहली बार सासरे आए हैं।
हम दोनों तो ये सुन कर भौंचक्के से रह गए.. क्योंकि हम तो कभी इस गांव की तरफ आए तक नहीं थे और ये हमें इस तरह से बुला रही है।
खैर.. हमने बिना कोई जवाब दिए खाना खाया और खटिया पर आकर सो गए।
थकान के कारण विकास तो जल्द ही नींद के खर्राटे लेने लगा.. पर मेरे दिमाग में तो बस एक ही सवाल था कि मैं इनका जीजा कैसे हुआ।
थोड़ी देर सोचने के बाद मेरी भी आंख लगने ही वाली थी कि कोई मेरे पैरों की उंगली खींचने लगा, मैंने चौंककर अंधेरे में फोन का उजाला करके देखा तो वही लड़की थी.. जिसने रोटी थाली में डाली थी।
मैं कुछ बोलता उससे पहले ही वो दबी आवाज में बोल पड़ी- जीजा सा, मैं अपना परिचय करवाती हूँ आपसे.. मैं आपकी सबसे छोटी साली मीना हूँ, मेरे से बड़ी रेखा और सबसे बड़ी दीदी का नाम तो याद ही होगा न आपको.. या अपनी घरवाली का नाम भी मैं ही बताऊं.. चलो बता ही देती हूँ.. शायद आप भूल गए होंगे, तो दीदी का नाम कमला है।
इतना कहकर वो दबी आवाज में हंसने लगी।
उसकी बात सुनकर मैं भी मुस्कुरा पड़ा।
मैं अभी कुछ बोलता कि फिर वो बोल पड़ी- जीजा सा, मैं जिस काम के लिए यहाँ आई थी.. वो तो बातों-बातों में कहना भूल ही गई। हाँ तो.. आपका बिस्तर इधर नहीं, घर के पीछे लगाया है.. वहाँ जाकर लेटो। चलो अंधेरे में आपको रास्ता नहीं मिलेगा, मैं आपको आपकी खटिया तक छोड़ देती हूँ।
इतना कहकर मीना ने मेरा हाथ खींचकर मुझे उठाया और बोली- चलो भी, इतना क्यों शर्माते हो।
अब उसने मुझे झोपड़े के पीछे खटिया पर लगाये गए बिस्तर पर ले जाकर बिठा दिया।
मीना बोली- अब मैं तो चलती हूँ जीजा जी अपना ख्याल रखना.. थोड़ी देर बाद कोई आएगा तो अंधेरे में आप उनसे डरना मत।
अब मेरे समझ में आने लगा कि ये लोग मुझे अपना दामाद मान रहे हैं और दामाद जब पहली बार सासरे जाता है तो वो एक साथी के साथ शाम को दिन ढलने के बाद ही वहाँ पहुँचता है। यहाँ लगता है वो शादीशुदा लड़की कमला ही है.. उसके पति गौना करने आए नहीं है.. शायद शादी नई-नई हुई है। अभी मैं इन्हीं विचारों में था कि मुझे किसी के आने की आहट महसूस हुई।
थोड़ी देर बाद मेरी खटिया के पास आकर एक औरत खड़ी हो गई। लहंगा-चोली में चुन्नड़ ओढ़े हुए करीब साढ़े पांच फिट लंबी थी.. पतली कमर थी, पास में खड़ी बड़ी मस्त लग रही थी।
वो धीमी आवाज में बोली- लो जी, पानी पी लो।
और उसने गिलास मेरे हाथ में थमा दिया
रात अंधेरी थी.. हम एक-दूसरे का चेहरा भी नहीं देख सकते थे। मैंने पानी पिया और बोला- आप बैठ जाओ।
वो मेरे पास खटिया पर बैठ गई और बोली- हमारी शादी के बाद आपने ना तो मुझे फोन किया और न ही मुझे अपना नम्बर दिया और आने तक की खबर भी नहीं दी.. शादी में एक रात ही तो साथ में रहे थे.. वो भी मेहमानों के बीच.. ना तो मैंने आपका चेहरा देखा और ना ही आपने मेरा चेहरा देखा।
दोस्तो, एक बात बताना चाहूंगा कि हमारे गाँवों के रीति रिवाज अनुसार शादी होने तक लड़का लड़की एक-दूसरे से नहीं मिल सकते हैं और शादी होने के बाद लड़की ससुराल जाती है तो एक या दो दिन ही ससुराल रहती है।
अब उन दो दिनों में कई जोड़ों की तो सुहागरात भी नहीं हो पाती है, ऐसा ही कमला के साथ भी हुआ था।
मैं तो दुविधा में पड़ गया कि यार कहाँ आ फंसे.. मैं सोचने लगा कि अब क्या करूँ, फिर सोचा कमला को एक बार ठीक से देख तो लूँ।
मैंने मोबाईल निकाला और उसके उजाले को पास बैठी कमला के चेहरे के सामने ले गया।
वाह.. चेहरे में क्या देसी खूबसूरती थी, जैसे कीचड़ में गुलाब का खिलना.. उसी प्रकार रेगिस्तानी झोपड़ी में भी इतनी सुन्दर सी परी.. कमला का चेहरा एकदम गोरा.. रस भरे लाल होंठ उजाले के सामने थरथरा रहे थे। उसके माथे पर चुँदड़ी बड़ी प्यारी लग रही थी।
मैंने मोबाईल को चेहरे से थोड़ा नीचे सरकाया तो क्या कयामत लग रही थी। उसकी छाती बैचेनी से ऊपर-नीचे हो रही थी.. उस पर उसके दो मस्त कड़क और एकदम कसे हुए चूचे भी ऊपर-नीचे हो रहे थे… एक मासूम सी बला थी कमला।
अब उसके हिलते हुए मम्मों को देखकर मेरे अन्दर भी वासना जगने लगी। मेरी पैन्ट में तंबू खड़ा होने लगा। मैंने धीरे-धीरे कमला के पूरे शरीर को फोन के उजाले में निहार लिया.. वो एकदम गोरी थी।
फिर मेरे मन में ख्याल आया कि ‘नहीं सूरज, तुम इन भोले भाले लोगों के साथ धोखा नहीं कर सकते.. इन्होंने तुझे मेहमान बनाकर भगवान की पूजा की तरह सेवा की है और तू इन्हें ही धोखा देना चाहता है, नहीं.. नहीं…’
मैं इस सोच में डूबा ही था कि कमला ने अपना हाथ मेरे चेहरे पर फेरते हुए पूछा- क्या हुआ.. कहाँ खो गए.. आप कुछ बोलते भी नहीं.. हमसे नाराज हो क्या?
मैंने चुप्पी साध रखी थी।
फिर वो बोली- इसमें मेरी क्या गलती कि हमारी सुहागरात ना हो पाई थी.. आज बिन्दास होकर सुहागरात मना लो।
इतना कहकर कमला अपने मुँह को मेरे मुँह के करीब लाई और अपने होंठों को मेरे होंठों से चिपका लिया। अब मैं भी सब कुछ सोचना छोड़ कर कि जो होगा सुबह देखा जाएगा, उसके अपने होंठों से उसके होंठों का रसपान करने लगा।
क्या रसीले होंठ थे.. चूसने में बड़ा मजा आ रहा था। मैंने अपनी जीभ को कमला के मुँह में अन्दर तक डाल-डाल कर उसकी जीभ चूसी और उसके मुँह को करीब दस मिनट तक चूसता रहा।
हम दोनों ने एक-दूसरे के होंठों को भी खूब चूमा.. जब साँस लेना कठिन हो गया तब जाकर हम दोनों अलग हुए।
मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था.. लंड पैन्ट में फड़फड़ा रहा था। मेरा लंड करीब सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा है।
अब मैंने कमला को खटिया पर सीधा लिटा दिया और मैं उसके बगल में एक साइड कोहनी के बल लेट गया और अपना मुँह उसके मुँह के ऊपर ले गया। कमला लंबी साँसें लिए जा रही थी, उसकी गर्म साँसें मुझे मदहोश कर रही थीं।
मैंने अपना एक हाथ कमला के कड़क तने हुए मम्मों पर रखकर धीरे से उसे मसला कि कमला के मुँह से सिसकारी निकलने लगी।
फिर मैंने उसके ब्लाऊज के बटनों को खोल दिया।
मैंने कमला के ब्लाउज के बटन खोल दिए, रात काफी हो चुकी थी, आसमान में चाँद निकल हुआ था। कमला ने काली ब्रा पहनी हुई थी, जो चाँद की रोशनी में उसके गोरे बदन पर बड़ी मस्त लग रही थी।
मैंने धीरे से उसके शरीर से उसकी ब्रा को भी अलग कर दिया।
क्या मम्मे थे यार… बड़े ही मस्त कड़क तने हुए थे। मैंने दोनों हाथों से दोनों मम्मों को पकड़ कर धीरे-धीरे मसलना शुरू किया.. कमला अपने मुँह से दबी आवाज में बड़ी ही मादक आवाज निकाल रही थी।
मैंने एक हाथ से उसके बोबे का मसलना चालू रखा और दूसरे हाथ को धीरे से नीचे खिसकाते हुए उसके पेट और नाभि पर हल्का-हल्का फिराने लगा। कमला पैरों की दोनों एड़ियों को आपस में रगड़ते हुए पैर पटक रही थी.. अब वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी। मैंने अपना मुँह उसकी नाभि पर टिका दिया और अपनी जीभ को उसकी नाभि के अन्दर फिराने लगा। मेरे इस चुम्बन से कमला की हालत बुरी हो रही थी।
मैंने अब अपने आपको ज्यादा देर ना करना उचित समझते हुए उसके लहंगे का नाड़ा खोल दिया और पैर से लहंगा नीचे खींच लिया। कमला की चिकनी गोरी जांघें चांद की रोशनी में बड़ी मस्त लग रही थीं।
उसने अन्दर नीले रंग की चड्डी पहनी हुई थी। मैंने धीरे से उसे भी निकाल दिया। अब कमला खटिया पर एकदम नंगी पड़ी हुई थी।
मैंने तो आज तक ऐसा नजारा कभी ख्वाब में भी नहीं देखा था, जिस तरह से अभी कमला को देख रहा था।
मेरा लंड फुंफार मार रहा था, वो तो टूट कर कमला की चुत में घुसने को बेताब था। अब मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपने लंड को कमला के हाथ में थमा दिया। लंड पकड़ते समय कमला शर्मा रही थी। कमला को मैंने बोला- इसे धीरे-धीरे हाथ से हिलाओ।
वो ऐसा ही करने लगी।
मैंने अब अपने हाथ को कमला की चुत पर रखा और एक उंगली को उसकी चुत के अन्दर डालने लगा। जैसे ही आधी उंगली उसकी चुत में गई होगी कि कमला उछल पड़ी और बोली- दर्द हो रहा है।
मैंने धीरे से एक-दो बार कोशिश की तो पूरी उंगली अन्दर तक चली गई। अब मैं उंगली को चुत में अन्दर-बाहर करने लगा। इससे कमला के पूरे शरीर को कसावट भरने लगी और वो जोर की सांसें लेने लगी।
अब उसने मेरे लंड को हिलाना छोड़ दिया मैंने भी अपनी उंगली को बाहर निकाला और एक बार फिर कमला के होंठों पर चुम्बन किया।
कमला बोली- अब देर ना करो, मुझसे और इन्तजार सहा नहीं जा रहा।
मैंने कमला को खटिया के एक कोने पर लिटाया और उसके दोनों पैरों को जमीन से टच करा दिया। मैं दोनों घुटनों के बल जमीन पर कमला के पैरों के बीच खड़ा हो गया, जिससे अब मेरा लंड कमला की चुत के बिल्कुल सामने आ गया था।
मैंने अब धीरे से कमला के पैरों के बीच आगे खींचते हुए अपने लंड को उसकी चुत पर टिका दिया और हल्के से लंड को उसकी चुत और जांघों पर रगड़ने लगा।
मेरी इस हरकत से कमला पागल हुई जा रही थी। वो बोली- प्लीज और ना तड़पाओ.. वरना मैं मर जाऊंगी.. जल्दी से डाल दो अपना लंड मेरी फुद्दी में.. और बुझा दो इसकी आग को।
मैंने भी देर ना करते हुए लंड के सुपारे को चुत पर टिका कर हल्का सा धक्का लगाया.. पर लंड फिसल के नीचे हो गया।
मैंने फिर टिका के धीरे-धीरे लंड पर दबाव डाला.. जिससे लंड का सुपारा चुत में घुस गया। उधर कमला को बड़ा दर्द होने लगा.. वो मुझे अपने हाथों से पीछे धकेलने लगी, पर मैं उसी पोजिशन में खड़ा रहा। थोड़ी देर जब कमला थोड़ी शान्त हुई तो फिर से धीरे से धक्का लगा दिया। अब मेरा लंड करीब चार इंच अन्दर घुस गया था.. कमला दर्द के मारे रोने लगी।
मैंने अब थोड़ा इन्तजार करने के बाद लंड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे चुत में चिकनापन आने लगा और लंड को अन्दर-बाहर होने में आसानी होने लगी। मैंने एक अब बार अपना पूरा लंड बाहर निकाल के फिर से जोर का धक्का मारा.. इस बार लंड पूरा का पूरा अन्दर घुस गया।
कमला चीख पड़ी- ऊहहहई माँह.. उहह मर गईईई..
मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया ताकि उसकी चीख से कोई जग ना जाए।
थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद जब कमला का दर्द कम हुआ तो उसने गांड हिलाना शुरू कर दिया। मैं समझ गया की अब माल चुदने को तैयार है, तो मैंने अब धक्के लगाना चालू कर दिए।
करीब दस मिनट तक धक्के मारने के बाद मैंने उसे घोड़ी की स्टाइल में खड़ा होने को कहा।
कमला अब घुटनों के बल जमी पर खड़ी हो गई। उसका पेट से ऊपर का हिस्सा खटिया पर ही था। मैं अब कमला की गांड के पीछे खड़ा हो गया और पीछे से लंड को उसकी चुत में घुसा दिया। अब मैं जोर-जोर से धक्के मारने लगा। कमला को भी बड़ा मजा आ रहा था और वो भी गांड हिला-हिला के लंड को चुत में ले रही थी।
करीब दस मिनट बाद कमला अकड़ने लगी और अपनी चुत को सिकोड़ने लगी। मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। कमला ने जोर की चीख के साथ चुत से गर्म-गर्म लावा छोड़ दिया.. वो झड़ चुकी थी।
मैं भी चरमचीमा पर पहुँचने वाला था इसलिए लंड को जोरों से अन्दर-बाहर कर रहा था। करीब दो मिनट के बाद मैं जोर से हाँफने के साथ चीख के साथ लंड को चुत से बाहर निकाल लिया और तभी मेरे लंड से पिचकारी फूट पड़ी। लंड का सारा माल मैंने कमला की पीठ पर बिखेर दिया। हम दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे.. थक गए थे। दोनों खटिया पर चित्त होके सो गए।
दस मिनट बाद जब चैन की सांस आई तो मैंने फोन निकाल कर टाइम देखा तो सुबह के पौने पांच बज चुके थे।
मैंने कमला को किस किया और बोला- सुबह हो गई है, अब हमें अपने पहले वाले बिस्तर पर चलना चाहिए।
कमला बोली- ठीक है.. फिर कब आओगे?
मैंने बोला- जब ऊपर वाला मिलाएगा तब..
और मैं हंस पड़ा.. कमला भी मुस्कुरा दी।
मैंने कमला से पूछा- आपके घर में हवा भरने का पंप है?
कमला बोली- हाँ है।
तो मैंने कहा- आप वो मेरी बाइक के पास रख आना.. मेरी बाईक में रात को पंचर हो गया था।
कमला बोली- ठीक है।
अब मैं और कमला चल दिए।
झोपड़े के पीछे से आकर उसने लाकर पंप बाइक के पास रख दिया।
मैंने अब विकास को उठाया और टायर में हवा भरने का बोला। उसने उठ कर हवा भर दी।
साढ़े पांच हो चुके थे.. मैंने सोचा यहाँ से निकल जाना चाहिए वरना सुबह सब उठ गए और चेहरा पहचान लिया तो मारे जाएंगे।
फिर हम दोनों दोस्त वहाँ से रवाना हो गए।
इसके बाद फिर कभी उस गांव की ओर नहीं गए।
मैंने जो मेरे साथ रात में घटना हुई इसे आज तक किसी को नहीं बताया है.. विकास भी इस बात से अन्जान है।
लेकिन यह घटना अपने मन में छुपा न सका, इसलिए आप सब दोस्तों के साथ शेयर कर दी। उम्मीद करता हूँ आप सबको मेरी कहानी पसन्द आएगी।

सोमवार, 20 नवंबर 2017

प्रेमिका ने शादी से पहले सुहागरात मेरे साथ मनाई

दोस्तो, अमृता के साथ एक साल तक मैंने दिल्ली साथ जॉब की और इस दौरान हमने सेक्स का भरपूर आनन्द भी लिया. अगले साल उसका रिश्ता कहीं और हो गया और फिर जल्द ही उसकी शादी होने वाली थी इसलिए उसके घर वालों ने उसकी नौकरी छुड़वा कर उसे घर बुला लिया था.
जैसे कि हम दोनों में तय था कि जब तक प्यार और साथ रहने का मौका होगा हम निभाएंगे और बाद में कोई किसी को बिन कुछ कहे अपनी जिंदगी में आगे बढ़ सकता है. इसलिए मैंने भी उसे प्यार से विदा किया.
उसकी शादी से एक महीने पहले उसने मुझे फोन किया और कहा कि वो अपनी शादी से पहले एक बार मुझसे बेइंतहा प्यार करना चाहती है और मुझे उसकी यह ख्वाहिश जरूर पूरी करनी है. मेरे दिल में भी उसके लिए बहुत प्यार और आदर हमेशा के लिये है तो मैंने भी उसे मना नहीं किया.
वैसे उसके जाने के बाद मेरी लाइफ में सेक्स के लिए एक बहुत प्यारी भाभी मिल चुकी थी जिसके बारे में मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊंगा.
फिर अमृता और मैंने मिलने का प्लान बनाया. उसे शादी के लिए कुछ सामान लेना था जिसके बहाने वो दिल्ली मुझसे मिलने मेरे रूम पर भी आ गई बीच में समय निकाल कर!
मैंने उस दिन अपने कमरे को खासतौर सजाया हुआ था ताकि अमृता को शादी से पहले एक हसीं मधुर मिलन का यादगार तोहफा दे सकूँ. बिस्तर पर गुलाब पंखुड़ियाँ बिखेर रखी थी, कमरे में इत्र की सुंगध… जैसे ही अमृता कमरे में आई, पहले तो उसे कसकर गले लगाये रखा कुछ पल… फिर मैंने उसे गोद में उठा लिया और प्यार से बिस्तर पर बैठाया.
अमृता मुझे बेतहाशा चूमने लगी, वो एक पल भी व्यर्थ नहीं जाने देना चाहती थी. मैं भी उसकी भावनायें समझता था इसलिए मैं भी उस पर आज अपनी पूरी मोहब्बत बरसाने को तैयार था. कब हम दोनों के सारे कपड़े उतर गये, हमें पता ही नहीं चला.
अमृता के गुलाबी लबों को अपने लबों में लेकर जी भर के चूसा उन्हें मैंने… फिर उसे लिटा दिया और डेरी मिल्क सिल्क चोकलेट को अमृता के कोमल मुलायम स्वादिष्ट दुग्ध कलशों पर अच्छे से लगाई और फिर उसके बूब्स को चूमना और ज़बरदस्त चूसना शुरू किया.
ऐसे ही उसकी नाभि को चूमते हुए कुछ चॉकलेट मैंने अमृता की चिकनी चूत पर लगाई और उसकी चूत को दिल खोल कर चाटा. उसकी चूत का वो खट्टा रस चॉकलेट के स्वाद के साथ मिक्स होकर बहुत जायकेदार हो गया था.
फिर अमृता ने भी मेरे लंड के साथ वैसा ही किया.

उसके बाद अमृता ने मुझे नीचे लिटा दिया और खुद उपर बैठकर लंड अपनी चूत में लेकर मेरे लंड पर कूदने लगी. करीब 5 मिनट में ही वो थक गई और मैंने उसे नीचे लिटाया. अमृता के दोनों पैरों को मोड़कर ऊपर किया और उसकी अवस्था में अपना लंबा लंड मैंने अमृता की चूत में डालकर उसे असीम आनन्द दिया उम्म्ह… अहह… हय… याह… और खुद भी अपनी चरम अवस्था में पहुँच गया.
फिर कई पोजीशन में करीब 4-5 बार हमने सेक्स का आनन्द लिया और फिर आधे घंटे तक हम दोनों नंगे ही एक दूसरे के साथ यों ही चिपक कर लेटे रहे.
वो शाम अमृता के लिए शादी से पहले उसकी हसीन सुहागरात जैसी थी.
उसकी आँखों में आंसू थे क्यूंकि वो कभी खोना नहीं चाहती थी मुझे… पर मैंने भी उसे कभी न भूलने का वादा किया.

वो चली गई और कुछ दिन बाद उसकी शादी हो गई. अभी उसकी शादी को दो साल हो गये हैं पर हम दोनों में आज भी सच्ची दोस्ती है हमेशा के लिए!
दोस्तो, मेरे जीवन में इस छोटी उम्र में भी सेक्स की कई सच्ची घटनायें हुई हैं जिनका आगे की कहानियों में मैं आपको वर्णन करता रहूँगा. मेरा हमेशा से यही तरीका रहा है कि मैं जिससे भी सम्बन्ध बनाता हूँ, सच बोलकर बनाता हूँ. सेक्स प्यार और विश्वास की ही तो कहानी है दोस्तो!
आप सभी का एक बार फिर से शुक्रिया करता हूँ मेरी सच्ची कहानी को अपना समर्थन देने के लिए. आपकी प्रतिक्रियाओं और मेल का स्वागत है.

चचेरी बहन की कुंवारी बुर की चुदाई की कहानी

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चचेरी बहन की कुंवारी बुर की चुदाई की कहानीv

मैं अर्चित अपनी चचेरी बहन की कुंवारी बुर की चुदाई की कहानी आप सबके साथ शेयर कर रहा हूँ।
बात 6 महीने पुरानी है.. मेरी एक कज़िन है, जिसका नाम सोनिया (नाम बदला हुआ) है। उसके मदमस्त जिस्म के बारे में क्या बताऊं.. इस समय उसकी नशीली जवानी क्या मस्ती से झूम रही थी.. उसका फिगर 34-26-34 का है.. एकदम मस्त तितली लगती है। जब भी मैं उसको देखता हूँ तो मेरा लंड खड़ा हो जाता है।
वैसे वो मेरी रियल कज़िन नहीं है लेकिन उसकी और मेरी फैमिली काफ़ी क्लोज़ हैं.. इसलिए दोनों का एक-दूसरे के घर आना-जाना लगा रहता है।
मैं जब भी उसके घर जाता.. तो बस उसको ही देखता रहता हूँ.. उसको क्या, मैं तो उसके तने हुए मम्मों को और उठी गांड को देखता रहता था। कभी-कभी हम दोनों बातें करते थे.. तो उस वक्त भी मेरा ध्यान बातों में कम और उसके उछलते मम्मों और रसीले होंठों पर ज़्यादा रहता था। मैं तो बस सपने देखता रहता था कि कब इसकी बुर की चुदाई के लिए मिलेगी और कब मैं अपने लंड की प्यास बुझाऊँगा।
लेकिन मौका नहीं मिल रहा था। मैं भी उसको अपने मन की ये सब लालसाएं बताने में डरता था।
वो मेरी कज़िन तो है ही इसलिए उसका फोन नम्बर तो मेरा पास था। उसके नम्बर पर मैं कभी-कभी मैसेज से बात भी होती रहती थी।
लेकिन उस एक रात ने मेरी ज़िंदगी बदल दी। बात ये हुई कि वैसे तो हम मैसेज एक-दूसरे को फ़ॉरवर्ड करते रहते थे लेकिन उस दिन न जाने क्या हो गया मुझे और उसे पता ही नहीं चला। हम मैसेज के जरिए बात कर रहे थे, यूं ही अपने फ्रेंडस और पढ़ाई वगैरह की बातें कर रहे थे.. तभी अचानक उसने मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछ लिया कि क्या मेरी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं?
मैंने भी ‘हाँ’ कह दिया और उससे भी उसके ब्वॉयफ्रेंड के बारे में पूछा तो उसने भी कहा कि हाँ उसका भी एक ब्वॉयफ्रेंड है। इस तरह धीरे-धीरे हम आगे बातें शुरू की।
मैंने अचानक उससे पूछ लिया कि तुमने कभी अपने ब्वॉयफ्रेंड को किस किया है?
उसने कहा- अरे यार किस तो आजकल नॉर्मल सी बात है.. इतना तो चलता ही रहता है।
मैंने कहा- इट्स ओके।
फिर उसने भी पूछ लिया- क्यों आपने अपनी गर्लफ्रेंड को किस नहीं किया क्या?
मैंने भी कह दिया- मैंने भी बहुत बार किस किया है।

लेकिन उस नाइट और भी कुछ होगा.. ये मैंने नहीं सोचा था।
मैंने भी मौका देखा और लगे हाथ उससे पूछ लिया- यदि तुम बुरा नहीं मानो तो एक बात पूछूँ?
उसने कहा- हाँ पूछो।
मैंने पूछा- कभी सेक्स किया है तुमने?

उसका कोई मैसेज काफ़ी देर तक नहीं आया।
उसका रिप्लाई न आने से मैं डर गया कि कहीं बुरा ना मान जाए। मैंने उसे कई मैसेज किए और सॉरी भी कहा.. लेकिन उसका कोई रिप्लाई नहीं आया। मैं समझ गया कि ये मेरी बात का बुरा मान गई।
अब मेरी फटने लगी कि कहीं अपने घर में और मेरे घर में भी कुछ कह ना दे। मैंने भी डर के मारे काफ़ी मैसेज करने के बाद उसे मैसेज नहीं किए।
फिर अचानक एक घंटे बाद उसका मैसेज आया कि मुझे आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी कि आप मुझसे ऐसी बात करोगे।
मैंने जल्दी से उसे सॉरी कह दिया और कहा- मैंने तो बस ऐसे ही पूछा था प्लीज़ तुम माइंड मत करना।

फिर उसने कहा- क्यों पूछा ऐसा आपने.. सच बताना?
मैंने उससे कह दिया- यार माइंड मत करना पर साफ़ कह रहा हूँ कि आई वांट टू सेक्स विद यू..
अब उसने कहा- हाउ डिड यू से लाइक दिस..? हम ऐसा कैसे कर सकते हैं.. हम तो कज़िन हैं।
मैंने भी कह दिया- मुझे तुम अच्छी लगती हो और तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ।
उसने कहा- मैं अपने ब्वॉयफ्रेंड को दुख नहीं दे सकती।

लेकिन मैंने भी कह दिया कि हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे.. तुम भी अपने ब्वॉयफ्रेंड को कुछ मत बताना।
फिर काफ़ी आना-कानी करने के बाद उसने खुद ही कहा- ठीक है हम सेक्स करेंगे लेकिन ज़्यादा नहीं थोड़ा सा करेंगे।

मैं आपको सब बताऊँगा कि वो कैसे मानी सेक्स के लिए थोड़ा आगे ओके।
मैंने उससे पूछा- थोड़ा सा कैसे..?
उसने कहा- हल्का सा करेंगे.. ज़्यादा डर्टी नहीं।
मैंने कहा- ओके ओके..

लेकिन मेरे मन में तो कुछ और ही था मैंने सोचा कि एक बार सेक्स करने तो मिले तो फिर तो मैं पूरा क्या.. माल निकालने तक का डर्टी सेक्स करूँगा।
अब वो मान गई थी लेकिन उसने पूछा- हम सेक्स कहाँ करेंगे?
तो मैंने कह दिया- जब तुम्हारे घर पर कोई नहीं होगा.. मुझे कह देना, मैं आ जाऊँगा या जब मेरे घर कोई नहीं होगा तब मैं तुम्हें बुला लूँगा।

इस तरह हम दोनों ही ऐसे मौके का वेट करने लगे। इस बीच हम दोनों की सेक्स को लेकर खूब चैट चलने लगी थी।
फिर वो दिन भी आ ही गया। मेरी कज़िन के घर वालों को किसी की शादी में 2 दिन के लिए एक नजदीक के गाँव जाना था। सोनिया ने जाने से मना कर दिया था.. तो वो सब चले गए.. लेकिन वे मेरी फैमिली को कह गए कि सोनिया यहीं रहेगी और उसका ध्यान रखना। साथ ही वे ये भी कहते गए कि सोनिया घर पर अकेली है.. मैं उसके साथ ही रहूँ और रात में वहीं उसके पास सो जाऊँ।
मेरे तो दिल में इतनी खुशी हो रही थी कि क्या बताऊँ यारो… मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई थी।
दिन बीत चुका था.. तो मेरी मॉम ने मुझसे कहा- सोनिया के लिए खाना ले जा!
मैं जल्दी से तैयार हो गया और उसके घर पहुँच गया। मैंने देखा कि उसका गेट खुला था तो मैंने आवाज़ लगाई।
सोनिया ने ऊंची आवाज में कहा- मैं बाथरूम में नहा रही हूँ। तुम बैठो, मैं थोड़ी डर में बाहर आती हूँ।
मैं वहीं बैठ कर टीवी देखने लगा। कुछ देर बाद वो अचानक मेरे सामने आई उसने अपने गीले बाल खुले कर रखे थे।
क्या बताऊँ यारो, कितनी सेक्सी पटाखा लग रही थी। मेरा मन तो कर रहा था कि इसको अभी पकड़ लूँ और स्टार्ट हो जाऊँ। लेकिन मैंने थोड़ा कंट्रोल रखा।
मैं उसे भेड़ियों वाली भूखी नज़रों से देख रहा था तो उसने पूछ लिया- क्या देख रहे हो.. कभी लड़की नहीं देखी क्या?
मैंने मज़ाक में कहा- देखी तो बहुत हैं लेकिन तुम जैसी नहीं देखी।
वो एक क्यूट सी स्माइल देकर कपड़े चेंज करने चली गई।

फिर कुछ ही पलों बाद वो एक टॉप और ट्राउज़र में आई.. जिसमें उसका शरीर की हर हलचल साफ़ दिख रही थी.. मेरा लंड अकड़ने लगा था।
फिर उसने मेरा लाया हुआ खाना खाया और हम दोनों टीवी देखते हुए इधर-उधर की बातें करने लगे।
अचानक से उसने पूछ लिया- उस दिन आपको क्या हो गया था?
मैंने पूछा- कल क्या हुआ था?
तो कहने लगी- आप ऐसी बातें क्यों करने लगे थे?
तो मैंने मुस्कुरा कर देखते हुए कह दिया- मैं तुम्हें लाइक और लव करता हूँ और सेक्स करना चाहता हूँ।
उसने कहा- तुम्हारी तो गर्लफ्रेंड है? अगर उसे पता चल गया तो.. और तुम ऐसे उसे धोखा नहीं दे रहे हो?
तो मैंने भी कह दिया- ऐसे कोई धोखा नहीं होता और उस जब पता चलेगा तब की तब देखी जाएगी।

ये कहते हुए मैंने अचानक से उसका हाथ पकड़ा और उसे ‘आई लव यू..’ कह दिया।
उसने कुछ नहीं कहा तो मैं उसके पास को सरक गया और उसे एक किस कर दी, वो मुझे घूरने लगी। मैं फिर से उसके पास चूमने को हुआ, तो इस बार उसने मुझे रोक लिया। लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था। इस बार मैंने उसे जोर से हग किया और किस करने लगा।

अब वो भी मुझे टाइटली हग करने लगी और मेरे साथ किस में साथ देने लगी।
क्या रसीले होंठ थे यारों उसके..
इस तरह हमने एक लम्बी गहरी वाली चुम्मी की.. वो भी जीभ से जीभ से लड़ाने वाली किस की थी। अब हम दोनों एक-दूसरे की जीभ को चूसने लगे। इस तरह से हमने 20 मिनट तक किस किया और एकदम पागल से हो गए थे।
फिर मैं अपना एक हाथ उसके मम्मों पे ले गया और टॉप के ऊपर से ही दबाने लगा। वो गरम-गरम आहें भर रही थी। उसकी साँसें तेज़ हो गई थीं।
अब मैं टॉप के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाने लगा। बहुत ही सॉफ्ट और बड़े चुचे थे। इस तरह अब मेरे दोनों हाथ उसके दोनों मम्मों को दबा रहे थे।
वो पागल सी हो रही थी और तेज़-तेज़ साँसें ले रही थी। हम एक-दूसरे को हम किस करते जा रहे थे। फिर मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी और उसके मम्मों को ब्रा में ही देखने लगा।
क्या मस्त मम्मे थे.. एकदम गोल और भरे हुए.. मुझे रहा नहीं गया और अब मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। मैंने देखा कि ब्रा में उसके मम्मे जितनी साइज़ के दिख रहे थे.. ब्रा हटते ही मम्मों का आकार और बड़ा हो गया था और अब उसके चूचे और भी बड़े दिखने लगे थे।
अब उसके चूचे बहुत ही मस्त दिख रहे थे.. जैसे एकदम रसीले आम हों।
मैं तो मम्मों को पीने और गंदे तरीके से मसलने लगा। उसको डर हो रहा था.. वो कह रही थी- डार्लिंग आराम से करो.. दर्द हो रहा है।
हालांकि उसको मजा भी आ रहा था।

अब मैं पागलों की तरह उसके चूचों को दबाए जा रहा था और उसे भी सेक्स चढ़ चुका था। वो अपना एक हाथ मेरे लंड पे ले गई और पैंट के ऊपर से ही लंड को दबाने लगी।
मैंने कहा- जानेमन, अगर मेरे लंड से खेलना है.. तो ऊपर से क्यों मजा कर रही हो.. और पैंट उतार के खेल लो।
उसने पैंट उतार दी।

मेरा इतना बड़ा लंड देख कर हैरान रह गई और डर कर कहने लगी- इतना मोटा और लम्बा लंड तो मेरे ब्वॉयफ्रेंड का भी नहीं है.. इससे तो मुझे तो काफ़ी दर्द होगा।
मैंने कहा- डरो मत डियर.. मैं हूँ ना।

इस तरह वो मेरे लंड को पकड़ कर चूसने लगी।
क्या बताऊँ यार.. क्या मस्त लंड चाट रही थी साली.. उसने तो मेरे लंड को अपने मुँह में एकदम ब्लूफिल्म की सन्नी लियोनी जैसे ले रखा था और वैसे ही पागलों की तरह लंड को चूस रही थी। मैं भी एकदम पागल हो गया था और मुझे तो सेक्स चढ़ा जा रहा था।

वो मेरे लंड को कई मिनट तक चाटती और खेलती रही।
अब मैंने उसके ट्राउज़र और पैंटी को उतार दिया, उसकी बुर पर एक भी बाल नहीं था.. शायद उसने नहाने से पहले ही बुर की झांटों को शेव करके साफ़ किया था।
मैं उसकी बुर को चाटने लगा और फिंगरिंग करने लगा। वो बहुत ‘आहह उम्म्ह… अहह… हय… याह…. आहा..’ कर रही थी और जोर से आवाज़ निकाल रही थी। पूरे कमरे में उसकी कामुक आवाजों का शोर हो रहा था। इस शोर से मुझे तो और जोश आ गया।
अब मैंने अपने लंड को हाथ से पकड़ कर उसकी बुर के मुंहाने पर घिसते हुए डालने लगा।
वो कहने लगी- प्लीज़ आराम से डालना.. आपका बहुत मोटा और लंबा लंड है.. कहीं मेरी जान ना निकल जाए।
मैंने कहा- कोई बात नहीं मेरी जान.. कुछ देर का ही दर्द होगा.. बाद में तो तुम जन्नत की सैर करोगी।

ये कहते हुए मैंने अपना लंड उसकी बुर में लगा दिया और धीरे-धीरे डालने लगा। वो सहमी सी होकर लंड का मजा लेने लगी.. तभी मैंने एक तेज झटके में उसकी बुर में अपना लंड पूरा पेल दिया। उसकी तो चीख ऐसी निकली कि क्या बताऊँ.. मैं तो डर ही गया कि कहीं पड़ोसी ना सुन लें।
फिर मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया और किस करते हुए और जोर जोर से झटके देने लगा। मैंने देखा कि उसकी आँखों में आंसू थे.. दर्द से वो रो रही थी.. लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था। मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और अपने काम में पूरी मस्ती से लग गया।
कुछ पलों के बाद वो भी बुर की चुदाई का मजा लेने लगी।
मैंने उसे कई तरह से चोदा.. कई पोज बना कर अपनी चचेरी बहन की बुर चुदाई की।
वो कह रही थी कि हम दोनों को तो हल्का सा सेक्स करना था।
फिर मैंने कहा- डार्लिंग ये मेरा हल्का सा ही सेक्स है।

वो हंसने लगी और गांड उठा कर मेरा साथ देने लगी। हम दोनों सेक्स का मज़ा लेने लगे।
मैंने उसे काफ़ी देर तक चोदा और अगले दिन में भी उसे कई बार चोदा।
दूसरे दिन मैं अपने घर वालों से पूछ कर उसी के घर पर रुक गया और पूरी रात मैंने उसे कई तरीकों से चोदा।
सोनिया मेरी चुदाई की फैन हो गई और अपने ब्वॉयफ्रेंड को भूल कर मुझसे ही चुदती है।
दोस्तो, यह थी मेरी चचेरी बहन की कुंवारी बुर की चुदाई की कहानी. प्लीज़ मुझे बताना कि कैसी लगी। प्लीज़ मेल ज़रूर करना।

शनिवार, 11 नवंबर 2017

माँ अपनी चूत दिखा कर मुझे चोदने के लिए बोली

हेल्लो दोस्तों मेरा नाम अनिल है और बरेली का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 18.. साल जब मैं 10 साल का था तभी मेरे पापा की मौत हो गई और मैं और मेरी माँ किसी तरह से अपना गुज़ारा कर रहे थे। मैं पढने के लिए चला जाता था और फिर माँ पैसे कमाने के लिए दुसरो के घर में पोछा और बर्तन मांजती थी। हम लोग बहुत बुरी हालत से गुजर रहे थे। एक दिन मेरी माँ एक जगह बर्तन माजने गई और वहां के माकन मालिक ने हमारी मज़बूरी समझ कर माँ को कुछ पैसे ज्यादा दिए और उनसे कहा – तुम इतना काम क्यों करती हो। कुछ अपनी सेहत पर भी ध्यान दिया करो।
जब मेरे पापा मी मौत हुई तो मेरी माँ केवल 28 साल की थी। मेरी माँ देखने में तो बहुत ही सुन्दर थी लेकिन गरीबी की वजह से वो देखने में ज्यादा अच्छी नही लग रही थी। धीरे धीरे समय बिता और मैंने एक जॉब कर लिया और फिर मेरी माँ को काम से आराम मिल गया। वो केवल घर का काम करती और घर पर ही रहती थी। जब मेरे पापा की मौत हो गई उसके बाद मेरी माँ को लंड के दर्शन नही हुए। मेरी माँ को बहुत साल हो गये थे चुदे हुए और उनकी चूत धीरे धीरे चुदाई न होने की वजह से बिलकुल चिपक गई थी।
एक बार मैं घर जल्दी आ गया और माँ घर पर अकेली ही रहती थी, दरवाज़ा खुला था मैं सीधे अंदर आ गया। मम्मी कही दिख नही रही थी तो मैं उनके कमरे की तरफ बड़ा तो मैंने देखा मम्मी अपने कमरे में अपने कपड़ो को निकाल कर अपनी चूची को दबाते हुए अपने उंगली को अपनी चूत में डाल रही थी। जब मैंने उनको देखा तो मैं समझ गया कि माँ इतने दिनों से किसी से चुदी नही है और अब इनके चूत की गर्मी इनको चुदने के लिए मजबूर कर रहा है। उस दिन मैं वहां से चुपचाप चला आया।
दोस्तों जब मैंने जॉब करना शुरू किया तो वहां पर एक लड़की थी जो मेरे बगल में काम करती थी उसका नाम नीतू था मैं उसको पसंद करने लगा था और वो भी मुझे देखा करती थी। धीरे धीरे मैंने उससे बात करना शुरू कर दिया। जब मैं उससे बात करता था तो मैं केवल उसकी चुदाई के बारे में ही सोचता था। और उससे बात किया करता था। उसकी चूची काफी गजब की दिखती थी टॉप के ऊपर से और वो बहुत ही सुंदर और सेक्सी थी उसको देखने के बाद मेरा लंड खड़ा हो जाता था।
धीरे धीरे समय बिता मैंने एक दिन नीतू को प्रपोस कर दिया और मैंने उससे कहा – “जब से मैंने तुम्हे देखा है मैं तो ठीक से सो नही पाता हूँ और केवल तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूँ। तुम क्या सोचती हो मेरे बारे में”।
तो नीतू ने मुझसे कहा – “मैं तुम्हे पसंद तो करती हूँ लेकिन मुझे ये सब करने का समय नही है मुझे बहुत काम रहता है और मुझे अपने अपने घर का खर्चा नही चलाना रहता है”।
तो मैंने उससे कहा – “इससे क्या हुआ मैं भी तो अपने घर का खर्चा उठता हूँ। मेरे बहुत देर समझाने के बाद उसने भी मुझको हाँ बोल दिया लेकिन उसने मुझसे कहा – “मैं तुम्हारे साथ सेक्स नही करुँगी अगर तुम मेरे साथ सेक्स करने के लिए मुझसे प्यार करते हो तो भूल जाओ। मैं तुमसे प्यार करता हूँ ना की तुम्हारे जिस्म से”।
उस दिन तो वो चली गई लेकिन जब दुसरे दिन वो आई तो मैंने उसे कहा – तुम मेरे साथ सेक्स नही कर सकती हो लेकिन मैं तुम्हे किस कर ही सकता हूँ। तो नीतू ने मुझसे कहा हाँ तुम मुझे किस कर सकते हो। मैंने नीतू से कहा – मेरा मन किस करने को कह रहा तुम मेरे साथ नीचे चलो। वो मेरे साथ में नीचे आई।
उस दिन मैंने उसके होठ को पहली बार पिया। उसके मुलायम और रसीले होठ पीने में बहुत मंजा आता था। मैंने सोचा इसके होठ पीने में इतना मज़ा आरहा है तो इसको छोड़ने में कितना मज़ा आयेगा। कुछ दिनों तक मैं रोज नीतू के होठ पीता रहा।
एक दिन मैं उसके होठ को पपीते हुए उसकी चूची को दबा रहा था और कुछ देर बाद मैंने अपने हाथ को उसकी चूत के पास ले गया और उसकी चूत को सहलाने लगा तो उसने मुझसे कहा ये क्या कर रहे हो मैंने तुमसे कहा था मैं तुम्हारे साथ सेक्स नही करुँगी फिर भी तुम मुझ सेक्स करने पर क्यों मजबूर कर रहे हो। वो वहां से नाराज हो चली गई। मेरा मन उस दिन चुदाई करने का बहुत मचल रहा था। लेकिन मुझे नीतू चली गई अब किसको मैं चोदता।
मैं गुस्से में उस दिन घर आया और साथ में मुझे उस दिन चुदाई का भी भूत सवार था। जब मैं घर पहुंचा तो मम्मी अपने कमरे में थी। मैं उनके पास गया और अपने हाथ को उनके हाथ पर रखकर उनके कहा चलो मम्मी कहा खा लो। लेकिन जैसे ही मैंने अपने हाथ को उनके हाथ पर रखा उन्होंने मेरे हाथ को पकड लिया और अपनी चूची में लगते हुए मुझसे कहा – जब से तुम्हारे पापा की मौत हुई मैं किसी से चूड़ी नही हूँ और मेरे अंदर की जिस्म की आग से मैं जल रही हूँ तुम मेरे चूत की गर्मी को शांत कर दो बेटा मुझे चोद कर। तो मैंने उसके कहा आप ठीक तो है आप ये क्या कह रही है। मैं आप का बेटा हूँ मैं आप के साथ ये सब नही करूँगा।
तो मम्मी ने मुझसे कहा – मैं चाहती तो मुझे बहुत से मर्द मिल जाते लेकिन मैं अपने आप को तुम्हारे पापा की वजह से रोके हुए थी। अगर तुम मेरी चुदाई करोगे तो कोई जान भी नही पायेगा और मेरी चुदाई भी हो जायेगी।
मेरा मन भी चुदाई करने को कह रहा था और मम्मो भी बहुत ज्यादा चुदासी थी। तो मैंने उनसे कहा – मम्मी चुदने के लिए तैयार हो जाओ मैं अभी कपडे बदल कर आता हूँ।
कुछ देर बाद मैंने अपने कपडे निकाल कर मम्मी के कमरे में आया मैंने केवल इंडरवियर पहना था। मम्मी चुचाप बैठी हुई थी जब मैं उनके पास पहुंचा तो मैंने मम्मी को अपनी गोदी में उठा लिया और फिर मैंने मम्मी को किस करना शुरू किया और उनको अपनी गोदी में लेकर किस करने लगा। पहले तो केवल मैं हो मम्मी के होठ को पी रहा था लेकीन कुछ देर बाद मम्मी भी मुझसे चिपकने लगी थी और साथ मेरे होठ को अपने मुह में ले लिया उर मेरे होठ को चुमते हुए पी रही थी। कुछ देर बाद मैंने मम्मी को बिस्तर पर बिठा दिया और फिर उनकी होठ को पीते हुए मैंने उनकी चूची को भी दबाने लगा, जिससे मम्मी और भी कामातुर होने लगी और वो मेरे होठ को अपने दांतों से काटने लगी।
10 मिनट तक मम्मी के होठ को पपीने के बाद मैंने मम्मी के साडी को निकाल दिय और उनके ब्लाउस के बटन को अपने हाथो से खोल दिया और जिससे मम्मी की चूची दिखने लगी। मम्मी की चूची बहुत ही मस्त लग रही थी। देखने में बहुत ही गोरी और बिलकुल साइज़ में थी क्योकि मम्मी की चूची को दबने वाला कोई नही था। ,मैंने मम्मी कोई दोनों स्तन को अपने दोनों हाथो से पकड लिया और मसलने लगा। उनकी चूची दबाने में बहुत मज़ा आ रहा था। कुछ देर बंद मैंने मम्मी के मम्मो को अपने मुह में ले लिया और उनकी चूची को दबा दबा कर पीने लगा। जिससे मम्मी क माज़ा आ रहा था और वो अपने दूध को मुझे बड़े जोश से पिला रही थी। धीरे धीरे मेरे अंदर का शैतान जड़ने लगा और मैं चुदाई के आग में मम्मी की चूची को जोर जोर से दबाने लगा और उनकी चूची को काटने लगा जिससे मिमी की चूची में दर्द होने लगा और उन्होंने मुझे अपनी चूची से दूर करने लगे और साथ में सिसक भी थी।
बहुत देर तक चूची को पीने के बाद मैं बहुत ही ज्यादा काम के आग में जलने लगा था। मैंने तुरंत ही मम्मी के पेटीकोट के नारे को खोला और उनकी चूत को लाल पैंटी के ऊपर से ही दबते हुए सलते हुए मैंने उनकी पैंटी भी निकाल दी। मम्मी की चूत देखने में बहुत साफ लग रही थी और काफी कसी हुई भी थी उनकी चूत को देख कर मेरा लंड और भी तन गया। मैंने अपने लंड को मम्मी की चूत में लगते हुए उनके चूत लाल गुलाबी दाने में अपने लंड को रगड़ने लगा जिससे मम्मी भी और ज्यादा चुदासी हो गई और वो अपनी फुद्दी को सहलते हुए अपनी चूची को मसाल रही थी। कुछ देर बाद मैंने अपने लंड को पकड कर एक जोर से झटका दिया जिससे मेरा लंड मम्मी की चूत के अंदर चला गया। मम्मी की चूत बहुत ही गर्म थी मुझे ऐसा लग रहा था जिसिसे मेरा लंड किसी गर्म जगह पर घुस गया गया हो। जब मैंने मम्मी को चोदने शुरू किया तो मम्मी की चूत बहुत टाईट थी मुझे मम्मी को चोदने में बहुत मज़ा आ रहा था और मम्मी को भी चुदने में मज़ा अ रहा था। कुछ देर बाद जब मेरे अंदर का शैतान जग गया तो मैंने मम्मी की कमर को पकड़ा और जोर जोर जोर से मम्मी की चूत को चोदने लगा। जिससे मम्मी की चूत में एक दर्द उत्पन हो रहा था और वो बिस्तर के चादर को पकड कर मेरे लंड के दर्द को सहते हुए मुझसे चुदवा रही थी। मैं मम्मी की लगातार तेजी से छोड़ रहा था और कुछ देर बाद जब मम्मी मेरे लंड के दर्द को नही सह पी तो वो अपने चूत को मसलते हुए आआआआअह्हह्हह,…..ईईईईईईई…..ओह्ह्ह्हह्ह ऊह्ह ओह्ह्ह ऊओह्ह उफू फूफ उफ़ उफ्फ्फ …. मम्मी आह आःह्ह अह्ह्ह… …उ उ उ उ ऊऊऊ ……….ऊँ….ऊँ…..ऊँ.. उंह उंह उंह हूँ……. हूँ… हूँ….. आऊ….. आऊ……हमममम अहह्ह्ह्हह…… करके चीखने लगी थी।
कुछ देर बाद मैंने अपने लंड को मम्मी की चूत से बहार निकाल लिया और फिर मम्मी को अपनी गोदी में उठा लिया और किस करते हुए उनके पास में रखे एक मेज पर बिठा दिया और फिर अपने लंड को उनके बुर में लगा कर फिर से उनकी चुदी करना शुरू किया। मैं जोर जोर से अपने लंड को धक्का धक्का दे रहा थाऔर जिससे मम्मी छूट में दर्द के कारण मम्मी मुझसे चिपकती ही जा रही थी और जोर जोर से चीख रही थी। उनके आवाज़ से पूरा घर गूंज रहा था। लेकिन मैं लगातार मम्मी की चढाई करते हुए उनकी चूची को दबा रहा था। जब मेरा लंड मम्मी की चूत के अंदर जाता टी मेरे लंड के रगड़ से मम्मी तड़प उठती..
बहुत देर तक मम्मी की चुदाई करने के बाद मैंने अपने लंड को उनके चूत से निकाल लिया और फिर मुठ मारने लगा।
चुदाई के बाद भी मम्मी का मन नही भरा था तो मैंने मम्मी की चूत से पानी भी निकाला। उस दिन के बाद से जब भी मम्मी का मन चुदने को करता वो मुझसे कह देती थी और मैं रात को उनकी खूब चुदाई करता था।

Chhoti Bahan kaa Choot Phada

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